कोरोना काल में खामोश हुए अपराधी, लेकिन फिर से हो रहे हौंसले बुलंद

कोरोना महामारी अब भी पूरी दुनिया के लिए काल बनी हुई है। इससे लड़ते हुए हालांकि भारत समेत कई देशों ने लॉकडाउन को हटा दिया है। लॉकडाउन के दौरान कई अच्छी ख़बर भी सामने आई है, जिनमे पर्यावरण का साफ़ होना, सड़क दुर्घटना में कमी, अपराध का ग्राफ नीचे आना प्रमुख है। हालांकि लॉकडाउन हटते ही अपराधियों के हौसलें भी बुलंद हो गए हैं। लेकिन दूसरी ओर पहले की भांति अपराध में काफी मात्रा में कमी पाई गई है। 

चोरी, हत्या, लूट की घटना धीरे-धीरे फिर से सामने आने लगी है। मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में कल ही एक बैंक से दिनदहाड़े 5 लाख़ रु से अधिक की लूट का मामला सामने आया है। वहीं इस दौरान कानपुर शूटआउट के मामले ने भी खूब सुर्खियां बटोरी। इतना ही नहीं देश भर के विभिन्न कोनों से छेड़खानी, यौन शोषण, मानसिक प्रताड़ना आदि के मामले भी धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं। लेकिन इन सबसे बढ़कर कोरोना काल में सबसे बड़ा अपराध मिडिल एडवायजरी को न मानना बताया गया है। 

जहां एक ओर सरकार बीते करीब 4 माह से कोरोना को लेकर लोगों को जागरूक कर रही है, तो वहीं देश के कोने-कोने से लोग इसे ना मानते हुए खुद को अपराधी की श्रेणी में लाने के लिए तत्पर नजर आ रहे हैं। अब भी इसे गंभीरता से न लिया गया तो इसका गंभीर परिणाम भुगतना होगा। कोरोना के साथ यह बात दिलचस्प है कि 'करे कोई भरे कोई' वाली कहावत इसके साथ बिलकुल सटीक बैठती है।  

 

 

 

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