कोरोना ने सरकार के लिए उत्पन्न की ये बढ़ी समस्यां

देहरादून: देश के राज्य उत्तराखंड में बीते 13 दिनों के अंदर COVID-19 के केसों में हुई वृद्धि से गवर्मेंट, सिस्टम तथा जनमानस की पेशानी पर बल हैं। संक्रमितों के आंकड़े में अचानक आए उछाल के बाद भी गवर्मेंट सामुदायिक संक्रमण से स्पष्ट मना कर रही है।अलबत्ता गवर्मेंट के लेवल पर उन वजहों की खोजबीन हो रही है, जो COVID-19 संक्रमितों के आंकड़े में अनायास बढ़ोतरी के कारण हैं। बहरहाल, जो वजह गवर्मेंट को पता लगे हैं, उनमें एक कोविड जाँच का बढ़ा दायरा भी माना जा रहा है।

वही यह सवाल परेशान कर रहा है कि सामुदायिक संक्रमण की स्थिति नहीं हैं तो COVID-19 के केसों में अचानक वृद्धि क्यों हो रही है। इसका एक प्रमुख कारण टेस्टिंग बढ़ना भी बताई जा रही है। 13 जून से 21 जुलाई के मध्य 1500 से तीन हजार टेस्ट रोजाना हो रहे थे, 29 अगस्त से 15 दिनों के मध्य 10 हजार के पार हो गए हैं। दूसरा कारण अनलॉक-4 भी माना जा रहा है। तीसरा कारण लोगों की लापरवाही है। मौसम में आ रहे परिवर्तन भी एक प्रमुख कारण है। 

राज्य में COVID-19 के सक्रीय मामले रफ़्तार से बढ़ रहे हैं। राज्य में 27 अगस्त को 5215 सक्रीय मामले थे। 13 सितंबर को सक्रीय मामलों का आंकड़ा 10397 पहुंच चूका है। यदि ऐसे ही मामले बढ़ेंगे तो सरकारी व गैरसरकारी हॉस्पिटलों पर दबाव भी बढ़ेगा। बीते वही 13 दिनों में प्रदेश में COVID-19 की संक्रमण दर 9.28 प्रतिशत है। 13 सितंबर को एक ही दिन में चार मैदानी शहरों देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल तथा ऊधमसिंह नगर में संक्रमण की दर रिकॉर्ड ऊंचाई पर जा पहुंची। इसी के साथ राज्य में कोरोना के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है।

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