आज चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है और आज के दिन माँ कुष्मांडा का पूजन किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं माँ कुष्मांडा की आरती और उनके मंत्र। माँ कुष्मांडा की आरती- कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली॥ कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ लाखों नाम निराले तेरे । भक्त कई मतवाले तेरे॥ कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥ कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥ कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥ कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ माँ के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥ कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥ कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥ कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥ कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ माँ कुष्मांडा के मंत्र- या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। ध्यान मंत्र: - वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्। सिंहरूढाअष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वनीम्॥ सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥ – वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥ – दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्। जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥ – जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्। चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥ नहीं रहे कपिल देव, कोरोना से गई जान ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक आज करेंगे परीक्षा की घोषणा जबलपुर: ऑक्सीजन खत्म होने से 5 मरीजों की मौत