'नास्तिक होकर भी मुस्लिम होना मजबूरी है...', जावेद अख्तर ने बताया क्यों नहीं बन सकते है 'हिन्दू'

मशहूर कवि और हिन्दी फिल्मों के गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर सभी त्योहार मनाते हैं किन्तु किसी धर्म में आस्था नहीं रखते। वह स्वयं को नास्तिक मानते हैं। उनका कहना है कि उन्हें हिंदू एवं मुस्लिम दोनों मतों के मानने वाले कुछ लोग ट्रोल करते हैं। इतना ही नहीं मुस्लिम एक्सट्रीमिस्ट ने उनका नाम अमर रख दिया था वहीं हिंदू उन्हें जिहादी बोलते हैं। जावेद अख्तर ने कहा कि वह चाहकर भी अपना धर्म क्यों नहीं बदल सकते।

जावेद अख्तर ने से पूछा गया कि सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जाना आम बात है। सबसे फनी चीज उन्होंने अपने बारे में क्या सुनी? इस पर जावेद ने कहा, मुझे जिहादी कहा गया। जबकि मैं नास्तिक हूं। मुझे तो ऐसे लोगों से 3-4 बार पुलिस प्रोटेक्शन दिया गया है। ये मूर्खता है। सोशल मीडिया पर लोग किसी को भी गाली देने की स्वतंत्रता को एंजॉय करते हैं। इसे सीरियसली लेना मूर्खता होगी। मुझे तो दोनों साइड से गालियां पड़ीं। कुछ मुस्लिमों ने तो मेरा नाम तक बदल दिया। अमर नाम दे दिया। हिंदू एक्सट्रीमिस्ट बोलते हैं, पाकिस्तान जाओ। जावेद ने कहा, जब दोनों में से एक ट्रोल करना बंद कर देता है तो चिंता होती है। जब तक दोनों लोग ट्रोल कर रहे हैं, ठीक है।

जावेद अख्तर ने कहा, मैं मुस्लिम नास्तिक हूं। धर्म को नहीं मानता, धर्मों को भी नहीं मानता। मैं मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ हूं। मेरे पास मुस्लिम होने के सिवा कोई मार्ग नहीं है क्योंकि इसके लिए मुझे धर्म बदलना पड़ेगा। मगर मैं किसी धर्म को भी नहीं मानता तो उनमें क्यों जाऊं। मैं भले ही मुस्लिम धार्मिक मतों को न मानूं मगर मुस्लिम होना मुझसे जुड़ा। जावेद ने कहा, बहुत से लोग नास्तिक हैं किन्तु वे समाज के प्रेशर में स्वीकार नहीं कर पाते। उनकी हालत ऐसी है जैसी 60 वर्ष पहले लोगों की थी। लोग समाज के कारण सामने नहीं आ पा रहे। मैं और शबाना सारे त्योहार मनाते हैं। होली-दिवाली सारे मौसम के त्योहार हैं। धर्मों ने इन्हें ले लिया है ताकि त्योहार आकर्षक बन सकें।

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