विजय चौक पर आज बीटिंग रीट्रीट का आयोजन, जानिए इसका महत्व

नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर झांकी में पूरे विश्व ने भारतीय गणतंत्र की ताकत देखी. किन्तु गणतंत्र दिवस का यह आयोजन 26 जनवरी को खत्‍म नहीं हुआ है और आज बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के साथ इसका समापन होगा. प्रति वर्ष 26 जनवरी के तीन दिन के बाद 29 जनवरी को होने वाली बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के साथ गणतंत्र दिवस समारोह की समाप्ति होगी.

बता दें कि बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में तीनों सेनाओं के बैंड के साथ अर्धसैनिक बल BSF भी शामिल होता है. यह समारोह भी देश और गणतंत्र दिवस के लिए बेहद महत्व रखता है. बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का असली नाम ‘वॉच सेटिंग’ है और सूरज डूबने के वक़्त यह समारोह होता है. 18 जून 1690 में इंग्‍लैंड के राजा जेम्‍स टू ने अपनी सेनाओं को उनके ट्रूप्‍स के वापस आने पर ड्रम बजाने का फरमान सुनाया था. 

सन् 1694 में विलियम थर्ड ने रेजीमेंट के कैप्‍टन को ट्रूप्‍स के वापस आने पर गलियों में ड्रम बजाकर उनका अभिवादन करने का नया आदेश जारी किया था. आजकल कॉमनवेल्‍थ देशों की सेनाएं इस समारोह को परंपरा के रूप में निभाती हैं.  इस कार्यक्रम को कुछ लोग नए बैंड मेंबर्स के लिए उनका कौशल साबित करने वाला टेस्‍ट मानते हैं, तो कुछ इसे कठिन ड्रिल्‍स की प्रैक्टिस का तरीका भी मानते हैं.

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