इस दिन बाबा साहेब अंबेडकर ने अपनाया था बौद्ध धर्म

डॉ. भीमराव अंबेडकर हमारे देश के संविधान निर्माता है। प्रेम से लोग उन्हें बाबासाहेब कहते है। ख़राब आर्थिक स्थिति व सामाजिक भेद-भाव का सामना करते हुए उन्होंने बहुत ही कठिन हालातो से गुजरकर अपनी पढ़ाई की और कानून के ज्ञाता बने तथा स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। जीवन के आखरी पड़ाव मे उन्होने बौद्ध धर्म अपना लिया था। 

‘यदि नई दुनिया पुरानी दुनिया से भिन्न है तो नई दुनिया को पुरानी दुनिया से अधिक धर्म की जरूरत है.’  डॉक्टर आंबेडकर ने यह बात 1950 में ‘बुद्ध और उनके धर्म का भविष्य’ नामक एक लेख में कही थी. वे कई बरस पहले से ही ये मन बना चुके थे कि वे उस धर्म में अपना प्राण नहीं त्यागेंगे जिस धर्म में उन्होंने अपनी पहली सांस ली है. इसके बाद वे इस रास्ते पर निकल पड़े. 

बता दें की 14 अक्टूबर 1956 को उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया. ये दिन उनके इस निर्णय को याद करने का दिन है. यह उनका कोई आवेगपूर्ण निर्णय नहीं था, बल्कि इसके लिए उन्होंने पर्याप्त तैयारी की थी. उन्होंने भारत की सभ्यतागत समीक्षा की. उसके सामाजिक-आर्थिक ढांचे की बनावट को विश्लेषित किया था और सबसे बढ़कर हिंदू धर्म को देखने का विवेक विकसित किया.

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