पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरपंथियों का आतंक कम होने की जगह दिन प्रतिदिन तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दू लड़कियों को प्रतिदिन निशाना बनाया जा रहा है। यहाँ आए दिन नाबालिग हिन्दू युवतियों के अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन व महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले सामने आ रहे है। लेकिन विडंबना देखिए कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे इन अत्याचारों को ना तो वहां कि स्थानीय मीडिया दिखाती है ना ही पुलिस प्रशासन से उन्हें सहायता प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त हर बात में मानवाधिकार की दुहाई देने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन भी इन घटनाओं को देखने के बाद भी अपनी आँखे बंद कर लेते हैं। दरअसल एक ऐसा ही और मामला पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बदीन जिले से सामने आया है। यहाँ 2 महीने पहले एक हिन्दू लड़की का कुछ इस्लामिक कट्टरपंथियों ने जबरन अपहरण कर लिया। पीड़ित लड़की की पहचान रीता मेघवार के तौर पर हुई। वहीं जिस अपराधी ने अपहरण की इस घटना को अंजाम दिया था उसका नाम आशिक अहमदानी है। अपराधी आशिक अहमदानी ने हिन्दू लड़की का अपहरण करने के पश्चात् जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराया तथा फिर निकाह कर लिया। हालाँकि इस बीच युवती धर्म परिवर्तन करने से मना करती रही मगर अपराधी नहीं माना। आशिक अहमदानी ने युवती का अपहरण करने, धर्म परिवर्तन कर उससे निकाह करने के पश्चात् निरंतर उसके साथ अत्याचार करता रहा तथा उसे कई तरह की यातनाएं दी। इधर दूसरी तरफ लड़की के अपहरण से उसके परिजन पूरी तरह से परेशान थे। लड़की की तलाशी तथा खोजबीन के लिए उन्होंने नजदीकी पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज करवाया। मगर पुलिस ने उनकी शिकायत पर बिलकुल भी गौर नहीं किया तथा लड़की को ढूंढने की कोशिश भी नहीं की। उधर जैसे तैसे कर के वो हिन्दू लड़की रीता मेघवार इस्लामिक कट्टरपंथियों की कैद से स्वयं को आजाद कर भाग निकली तथा शिकायत लेकर थाने पहुंची। लड़की की बरामदगी होने के पश्चात मामला सिंध के जिला कोर्ट में पहुंचा। मगर अदालत से भी इस अल्पसंख्यक हिन्दू परिवार को निराशा ही हाथ लगी। दरअसल इस पुरे मामले में अदालत ने दोहरा चरित्र दिखाते हुए पीड़ित लड़की को उसके घरवालों के साथ भेजने की जगह सेफ हाउस भेज दिया। इस बीच कोर्ट परिसर में लड़की चीखती चिल्लाती हुई दिखाई दी। वो बिलखते हुए कह रही थी कि उसे सेफ हाउस नहीं बल्कि अपने माता पिता के साथ जाना है। मगर अदालत ने उस पीड़ित और उसके परिवार की एक ना सुनी। जज ने पीड़िता की मांग को ना मानते हुए उसे सेफ हाउस भेजने का फैसला दे दिया। मगर अब वहीं यदि दूसरे मामलों में हम देखें तो कोर्ट एवं प्रशासन का फैसला उलट नजर आता है। वही यहाँ जब बात मुस्लिम लड़कियों की आती है तो और वे जब अपने माता-पिता के साथ जाना चाहती हैं तो पाकिस्तान में वही अदालतें अलग-अलग फैसला लेती हैं। तथा उन लड़कियों को उनके घरवालों के साथ भेज देती हैं। मगर यहाँ जब हिन्दू अल्पसंख्यक की बात आई तो कोर्ट ने पीडिता को सेफ हाउस में भेज दिया। इन सभी दोहरे चरित्र के बाद भी पाकिस्तान इस बात से मना करता रहता है कि वहां जबरन धर्म परिवर्तन और अल्पसंख्यक हिन्दुओं के साथ पक्षपात नहीं है। मगर सच्चाई क्या है वो पूरी दुनिया को मालूम है। लेकिन बावजूद इसके मानवाधिकार की बात करने वाली संस्थाएं मूकदर्शक बन कर बैठी रहती हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामले कोई नई बात नहीं है। अभी हाल ही में ताजा मामला पाकिस्तान के सिंध प्रांत से ही (Pakistan Sindh Provinces) सामने आया था। जहाँ एक 13 वर्षीय नाबालिग हिन्दू लड़की राधा मेघवार (Radha Meghwar) को कुछ इस्लामिक कट्टरपंथियों ने जबरन किडनैप कर लिया है। परिवार को अब तक उनकी बच्ची का कोई सुराग नहीं प्राप्त हो पाया है। स्थानीय प्रशासन ने भी सहायता करने से मना कर दिया है। परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है। पाकिस्तान में प्रत्येक वर्ष हजारों ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, मगर इन पर रोक लगाने के बड़ा भी पाकिस्तान सरकार मौन बैठी रहती है। साथ ही इन सभी घटनाओं को दुनिया के सामने आने से भी रोकती रहती है। 'जबसे शादी हुई तब से पति और देवर मेरे साथ...', थाने जाकर नई नवेली दुल्हन ने बयां किया अपना दर्द 'MP में नहीं तो भविष्य में भी नहीं होगा कोई गठबंधन', कांग्रेस से अखिलेश यादव ने कह डाली बड़ी बात मेडिकल बोर्ड में नौकरी पाने का सुनहरा मौका, मिलेगी जबरदस्त सैलरी