नई दिल्ली: महान कवि और पत्रकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की आज पुण्यतिथि है. बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय (चटर्जी) बंगला के एक बेहद सम्मानित साहित्यकार थे. बंग भूमि ने उन्हें साहित्यिक, भाषायी समृद्धि के साथ ही वह संवेदनात्मक दृष्टि दी, जिसके चलते वह न सिर्फ बंगला के, बल्कि समूची भारतीय अस्मिता की प्रतीक समझी जाने वाली रचनाओं का सृजन कर पाए. कई लोग उन्हें बंकिम बाबू भी कहते थे. वह बंगला के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार तो थे ही, दूसरी भाषाओं पर भी उनके लेखन का व्यापक प्रभाव पड़ा. इसी के साथ आज भी भारतीय जनमानस के बीच वह राष्ट्रीय गीत के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त 'वन्दे मातरम्' के रचयिता के रूप में जाने जाते हैं. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 'वन्दे मातरम्' गीत क्रांतिकारियों की प्रेरणा का स्रोत था और आज भी राष्ट्रवादी इस पर गर्व करते हैं. बंगला समाज, साहित्य और संस्कृति के उत्थान के लिए सामाजिक, शैक्षिक आंदोलन से जुड़े विचारकों राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, स्वामी रामकृष्ण परमहंस, प्यारीचाँद मित्र, माइकल मधुसुदन दत्त, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय और ठाकुर रवीन्द्रनाथ टैगोर, विवेकानंद, दयानंद सरस्वती आदि ने अद्वितीय कार्य किया था और इसी का असर पूरे देश की भाषायी समृद्धि पर पड़ा. बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के कांठलपाड़ा नामक गांव में एक समृद्ध, पर परंपरागत बंगाली परिवार में हुआ था. उन्होंने मेदिनीपुर में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और फिर उन्होंने हुगली के मोहसीन कॉलेज में एडमिशन लिया. वैसे किताबों के प्रति बंकिम चंद्र चटर्जी की रुचि बचपन से ही थी और वह शुरुआत में आंग्ल भाषा की ओर भी आकृष्ट थे, उनका कहना था कि अंग्रेजी के प्रति उनकी रुचि तब समाप्त हो गई, जब उनके अंग्रेजी अध्यापक ने उन्हें बुरी तरह से डांटा था. इसके बाद उन्होंने अपनी मातृभाषा के प्रति लगाव लगाना शुरू किया. उन्होंने डिप्टी मजिस्ट्रेट का पद संभाला था. उन्होंने कई उपन्यास लिखे जिनमे 1866 में कपालकुंडला, 1869 में मृणालिनी, 1873 में विषवृक्ष, 1877 में चंद्रशेखर, 1877 में रजनी, 1881 में राजसिंह और 1884 में देवी चौधुरानी शामिल है. इसके अलावा उन्होंने 'सीताराम’, ‘कमला कांतेर दप्तर’, ‘कृष्ण कांतेर विल’, 'विज्ञान रहस्य’, 'लोकरहस्य’, ‘धर्मतत्व’ जैसे ग्रंथ भी लिखे थे. आज वह इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी रचनाएँ लोग खूब पसंद करते हैं. Koo App राष्ट्रीय गीत #वन्देमातरम् के रचयिता, श्रद्धेय बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय जी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि! View attached media content - Shivraj Singh Chouhan (@chouhanshivraj) 8 Apr 2022 Koo App मां भारती को समर्पित ’वन्दे मातरम्’ गीत के रचियता राष्ट्रभक्त एवं प्रख्यात साहित्यकार श्रद्धेय बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर सादर नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि। देशभक्ति से परिपूर्ण उनकी रचनाएं राष्ट्रसेवा की अलख जगाने के साथ साहित्य और संस्कृति के उत्थान को भी प्रेरित करने वाली हैं। View attached media content - Dr.Narottam Mishra (@drnarottammisra) 8 Apr 2022 मिलिए IAS अफसर उमाकांत उमराव से, जिन्होंने सूखाग्रस्त देवास को फिर से हरा-भरा कर दिया 'क़ुतुब मीनार से हटाई जाएं गणेश प्रतिमाएं..',जानिए NMA ने ASI को क्यों लिखा ये पत्र ? जम्मू कश्मीर: सेना की गोलीबारी में दो नागरिक घायल, महबूबा मुफ़्ती ने सरकार पर उठाए सवाल