देश की वो बहादुर नर्स जिसने अपनी जान जोखिम में डालकर दिया 20 गर्भवती महिलाओं को जीवनदान

26/11/2008 भारत के हालिया इतिहास में एक भयानक दिन था। इस दिन देश ने अपने सबसे बहादुर नायकों को खो दिया, कुछ लोग कहानियों को बताने के लिए आतंक से बच गए। महिलाओं और बच्चों के लिए कामा और एल्बलेस अस्पताल की स्टाफ नर्स अंजलि कुल्टे, 20 गर्भवती महिलाओं के साथ देखभाल करने के लिए एंटेनाटल वार्ड में अपनी नियमित रात की ड्यूटी पर थी।

उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह रात इतनी डरावनी होगी, जब तक कि उसने अस्पताल के प्रवेश द्वार पर दो अस्पताल के गार्ड्स को खून से लथपथ देखा। जिन दो आतंकवादियों ने उन्हें गोली मारी थी, वे पहले ही अस्पताल परिसर में प्रवेश कर चुके थे और वार्ड की ओर सीढ़ियों से चढ़ रहे थे। तब अंजलि जल्दी से दौड़ कर गई और प्रसवपूर्व देखभाल वार्ड के भारी दोहरे दरवाजों को लगा दिया। अजन्मे जीवन को बचाने के लिए, उसने सभी गर्भवती महिलाओं और उनके परिवार के कुछ सदस्यों को वार्ड में एक छोटे से पेंट्री स्पेस में स्थानांतरित कर दिया। 

वही आतंकवादियों ने लगभग एक घंटे तक इमारत की छत से आग के गोले बरसायें और इमारत विस्फोट के साथ बह गई। केवल एक चीज जो अटूट रह गई, वह थी अंजलि की हिम्मत और अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण। उस रात, उसने एक या दो बार नहीं, बल्कि कई बार अपनी जान जोखिम में डाली। उसने ड्यूटी पर एक डॉक्टर को सतर्क कर दिया, जिसने मदद मांगने के लिए पुलिस को कॉल किया और एक अन्य घायल नर्स को हताहत वार्ड में ले जाया। अंजलि की इस हिम्मत ओर साहस ने पुरे देश के लिए एक मिशाल कायम की है। 

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