रिहा हुए कलेक्टर की हत्या के दोषी आनंद मोहन

गोपालगंज: बिहार में गोपालगंज कलेक्टर और सीनियर IAS जी कृष्णैया के क़त्ल के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन सिंह आखिरकार जेल से रिहा हो गए। वह पिछले 16 वर्षों से सहरसा जेल में बंद थे। उनकी रिहाई बिहार सरकार द्वारा लोक सेवक हत्या कानून में संशोधन के कारण संभव हो सकी है। जेल से छूटने के पश्चात् वह सीधे पंचगछिया गांव के लिए रवाना हो गए हैं।

वही उनकी रिहाई के मौके पर बड़े आंकड़े में समर्थक जेल पहुंचे हुए थे। पूर्व सांसद आनंद मोहन बेटे की सगाई के लिए 15 दिन के पैरोल पर जेल से बाहर आए थे तथा पैरोल समाप्त होने पर उन्होंने बुधवार को ही जेल में हाजिरी दी थी। तत्पश्चात, रात भर जेल में रहने के बाद उन्हें बृहस्पतिवार की अल सुबह हमेशा के लिए रिहा कर दिया गया। लोक सेवक हत्या कानून में संशोधन एवं जेल मैनुअल में संशोधन के पश्चात् आनंद मोहन के साथ ही 27 अन्य कैदियों को भी रिहा किया गया है। आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार से लेकर दिल्ली तक सियासी माहौल गर्म है।

आपको बता दे कि ये घटना 5 दिसंबर 1994 की है। बिहार में एक गैंगस्टर के मारे जाने के पश्चात् मुजफ्फरपुर की जनता में आक्रोश था। इसी के चलते गोपालगंज की डीएम रहे जी। कृष्णैया अपनी सरकारी गाड़ी से उसी रास्ते से आ रहे थे। आक्रोशित भीड़ ने उन्हें लिंच किया था तथा DM को गोली भी मारी गई थी। आरोप था कि DM का क़त्ल करने वाले उस भीड़ को कुख्यात आनंद मोहन ने ही उकसाया था। यही कारण था कि पुलिस ने इस मामले में आनंद मोहन एवं उनकी पत्नी लवली समेत 6 व्यक्तियों को नामजद किया था। कृष्णैया की हत्या के मामले में आनंद मोहन को सजा हुई थी। 1994 के कलेक्टर हत्याकांड में आनंद मोहन सिंह को 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई। 2008 में उच्च न्यायालय ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।

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