क्‍या है अमेरिकी सेना की हमले के पीछे की रणनीति!

आपकी यह जिज्ञासा जरूर होगी कि आखिर ईरानी जनरल क‍ासिम सुलेमानी की हत्‍या में अमेरिका ने किस तरह रणनीति बनाई होगी.अमेरिका सेना ने किस तरह अपनी योजना को अंजाम दिया हो. इस योजना में अमेरिकी सेना ने यह ख्‍याल रखा कि नागरिकों या एयरपोर्ट का कोई नुकसान न हो. आइए जानते हैं अमेरिकी सेना की उस सफल रणनीति के बारे में जो अन्‍य देशों की सेना के लिए एक सबक याह मिसाल हो सकती है. 

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी को मारने के लिए अमेरिका ने वायु सेना के किसी बड़े विमान या क्राफ्ट का इस्‍तेमाल नहीं किया था. अमेरिका सेना ने उसे चुटकी में मार गिराया. दरअसल, अमेरिकी सेना ने सुलेमानी के काफीले पर यह हमला मानवरहित एयरक्राफ्ट MQ-9 रीपर के जरिए किया. यह एक प्रकार का ड्रोन है. MQ-9 रीपर ड्रोन 480 किलोमीटर की रफ्तार से उड़ने में सक्षम है. दुश्‍मन पर अचूक निशाने के लिए यह जाना जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक मध्‍य पूर्व में किसी ऑपरेशन में अमेरिका ने नौवीं बार इस तरह की मिसाइल का प्रयोग किया है. 

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अमेरिकी सेना इस ड्रोन का ईस्‍तेमाल रेकी करने या हवाई हमले में प्रयोग करती है. इसमें एक विजुअल सेंसर भी मौजूद रहता है. ड्रोन में लगी मिसाइलें सटीक निशाना लगाने में सक्षम हैं. खास बात यह है कि इसके हमले में आस-पास बहुत कम क्षति होती है. इस ड्रोन में दो लोग बैठ सकते हैं. ड्रोन अपने साथ चार हजार किलो का वजन लेकर उड़ सकता है. यह 50 हजार फीट की ऊचांई से उड़ान भरने में सक्षम है. ड्रोन के जरिए दो कारों पर यह दो मिसाइल दागी गई. यह मिसाइलें अपने लक्ष्‍य पर एयरपोर्ट के कार्गों टर्मिनल के निकट दागी गईं थीं.

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