अब 'समान नागरिक संहिता' के विरोध में उतरा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, आखिर क्यों समानता नहीं चाहता AIMPLB ?

लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम करार दिया है. बता दें कि, UCC के तहत केंद्र सरकार पूरे देश में सभी के लिए एक कानून लागू करना चाहती है.जिसके तहत देश के सभी नागरिकों के साथ एक ही कानून के मुताबिक व्यव्हार किया जाएगा. लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसका विरोध कर रहा है. AIMPLB का कहना है कि मुद्रास्फीति, अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी पर से ध्यान हटाने के लिए उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार यह कानून लाने की बात कर रही है.

बता दें कि भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के अपने घोषणापत्र में सत्ता में आने पर UCC को लागू करने का वादा किया था और पार्टी को जनता ने प्रचंड बहुमत के साथ विजयी बनाया था. इससे यह तो स्पष्ट है कि देश की अधिकांश जनता समानता के पक्ष में है, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को इससे आपत्ति है. AIMPLB ने केंद्र सरकार से समान नागरिक संहिता न लाने की गुजारिश की है. बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने एक प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि भारत के संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म के मुताबिक जीवन जीने की इजाजत दी है और इसे मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया है. 

मुल्सिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अनुसार, इस अधिकार के तहत अल्पसंख्यकों और आदिवासी वर्गों के लिए उनकी इच्छा और परंपराओं के मुताबिक, अलग-अलग पर्सनल लॉ बनाए गए हैं, जिनसे देश को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. बोर्ड ने कहा कि यह बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के बीच आपसी एकता और यकीन बनाए रखने में सहायता करता है. 

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