फिर धरती पर मंडराया ब्लैकआउट का खतरा, सूर्य की सतह में हुआ बड़ा विस्फोट

इस हफ्ते सूर्य की सतह पर एक बड़े विस्फोट से अरबों टन प्लाज्मा निकल गया, विस्फोट, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के रूप में भी पहचाना जाता है, उसने सूर्य के दक्षिण-पश्चिम चतुर्भुज से प्लाज्मा निकलता हुआ दिखाई दिया। यह इसे शक्तिशाली सौर हवाओं की सहायता से पृथ्वी की ओर धकेल रहा है। वैज्ञानिकों द्वारा की गई भविष्यवाणियों के मुताबिक, पार्टिकल्स में पृथ्वी की कक्षा में उपग्रहों को बाधित करने की 50 फीसद और ब्लैकआउट करने की 10 फीसद संभावना होती है। स्ट्रीम में पॉवरफुल रेडिशन होता है, जो पृथ्वी की टेक्नालॉजी को बाधित करने वाला है।

भू-चुंबकीय तूफान: सौर हवाओं की वजह से G1 भू-चुंबकीय तूफान बनने की भी उम्मीद है, जो अंतरिक्ष में परिक्रमा करने वाले उपग्रहों को प्रभावित कर सकता है। कोरोनल मास इजेक्शन में सूर्य की सतह से अरबों टन कोरोना मटेरियल छोड़ने की क्षमता बताई जा रही है। प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र पदार्थ बनाते हैं। इस तरह के विस्फोटों में अंतरिक्ष मौसम को बाधित करने की क्षमता भी देखने के ली मिल रही है। यह अंतरिक्ष में जाने वालों के लिए भी खतरनाक हो सकता है।

 

यूरोपीय स्पेस एजेंसी की सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला, जो सूर्य का अध्ययन करने कला काम करती है, उसी ने इस वीडियो को रिकॉर्ड भी किया है। कहा जा रहा है कि सीएमई कण केवल संयोग से पृथ्वी से टकरा रहे हैं, क्योंकि स्ट्रीम हमारे ग्रह के सामने एक कोरोनल छेद से निकली थी।  बता दें कि नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने भविष्यवाणी की है कि गुरुवार से पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र ‘अस्थिर’ हो गया था और अगले 24 से लेकर 48 घंटों तक ऐसा ही रहेगा, क्योंकि तेज गति वाली सौर हवाएँ कोरोनल होल से गुजरती हैं। सूर्य की सतह पर तीन कोरोनल छिद्रों का पता चला है। वहीं, इस समय सूर्य पर AR3275, AR3279, AR3276, AR3277, AR3272, AR3273 और AR3278 नामक कुल 7 सनस्पॉट सक्रिय हैं।

सौर तूफान से हो सकता है बड़ा नुकसान: सौर तूफान को वैज्ञानिकों ने G1 से लेकर G5 तक कुल 5 श्रेणियों में बाँट दिया गया है। G1-श्रेणी का सौर तूफान बहुत हल्का होता है। इससे नुकसान की संभावना बहुत कम होती है, जबकि G5-श्रेणी का सौर तूफान बहुत शक्तिशाली होता है। सौर तूफान सैटेलाइटों को भारी नुकसान पहुँचा सकते हैं। जिसके कारण से मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सेवाएँ भी बाधित होने लग जाएंगी। अत्यधिक शक्तिशाली होने पर ये पावर ग्रिड और पृथ्वी आधारित संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक्स को भी नुकसान पहुँचा सकते हैं।

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