हंसते-हंसते यूनान के इस महान दार्शनिक ने पी लिया था जहर, कहे थे यह अनमोल वचन

आप सभी को बता दें कि यूनान के महान दार्शनिक सुकरात के जीवन से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो आज के जीवन में भी प्रासंगिक हैं. ऐसे में वह बातें लोगों को प्रेरणा देने का काम करती हैं. आप सभी को बता दें कि 469 ईस्वी पूर्व में एथेंस में जन्में सुकरात को पश्चिमी दर्शन के जनक के तौर पर भी देखा जाता है और सुकरात के विचारों से घबराकर उनके विरोधियों ने कई गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें मौत की सजा दिला दी थी. जी हाँ , उस समय सुकरात पर आरोप लगाया गया था वे देवताओं की पूजा नहीं करते और नास्तिक हैं. केवल यही नहीं, उन पर उस समय युवाओं को भड़काने और बरगलाने के भी आरोप लगाया गया था.

इसी के साथ ही देशद्रोह के भी इल्जाम उनपर लगाए गए थे. वहीं इसके बाद उन्हें मौत की सजा के तौर पर जहर पिलाया गया था और सुकरात इससे बिल्कुल भी नहीं घबराये थे. कहते हैं उस समय उन्होंने हंसते-हंसते जहर पी लिया था. जहर बनाने वाला भी नहीं चाहता था सुकरात की मृत्यु- कहते हैं सुकरात को मृत्युदंड देने के तय दिन जहर बनाने वाला उनके लिए जहर पीस रहा था और दिलचस्प ये था सुकरात बिल्कुल भी तनाव में नहीं थे और अपने मित्रों से चर्चा में व्यस्त थे. कहा जाता है तय समय से कुछ देर पहले सुकरात ने जहर बनाने वाले से कहा, 'तुम देर नहीं करो.' इस पर जहर बनाने वाला बोला, 'मैं चाहता हूं कि आप जैसा महापुरुष कुछ और देर सांस ले इसलिए जान-बूझकर मैं देर कर रहा हूं.' वहीं इस बात को सुनकर सुकरात बोले, 'अब थोड़ा ज्यादा भी जी गया तो क्या हो जाएगा? मैंने जीवन देख लिया अब मृत्यु को देखना है. मेरी बातें हमेशा लोगों के बीच रहेगी.'

वहीं मृत्यु से पहले सुकरात ने कुछ अनमोल वचन कहे थे जो यह थे. जी दरअसल सुकरात के मित्रों और शिष्य उन्हें मौत की सजा दिये जाने के खिलाफ थे और उन्होंने सुकरात को जेल से आजाद कराने की भी योजना बना डाली और एक सिपाही को कुछ धन देकर अपनी ओर मिला लिया. वहीं सुकरात ने कहा कि ''वे देश के कानून का उल्लंघन नहीं करेंगे.'' उस समय सुकरात ने कहा, 'अब समय आ गया है कि हम अपनी राह अलग कर लें. आप जीवन की राह पर आगे बढ़ें और मैं मृत्यु की. दोनों में से ज्यादा अच्छा कौन है, इसे ईश्वर पर छोड़ दें.' इसके बाद उन्होंने जहर पी लिया.

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