राष्ट्रपति पद के लिए क्यों प्रबल है द्रौपदी मुर्मू की दावेदारी

नई दिल्ली : जब से देश में राष्ट्रपति के चुनाव की चर्चा चली है तब से बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज,सुमित्रा महाजन जैसे बड़े दिग्गज़ नेताओं के साथ-साथ अगले राष्ट्रपति के संभावित उम्मीदवारों में एक नाम द्रौपदी मुर्मू का भी सामने आ रहा है, जो फिलहाल झारखण्ड की राज्यपाल हैं.संयोग से द्रोपदी मुर्मू झारखंड की भी पहली आदिवासी महिला राज्यपाल हैं.

आपको बता दें कि द्रौपदी मुर्मू वर्ष 2000 से 2004 तक ओड़िसा विधानसभा में रायरंगपुर से विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रह चुकी हैं. यही नहीं वह पहली ऐसी ओड़िया नेता हैं जिन्हें किसी राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. वह भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन सरकार में 06 मार्च 2000 से 06 अगस्त 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार तथा 06 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री रहीं.

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के एक आदिवासी परिवार में हुआ. रामा देवी विमेंस कॉलेज से बीए की डिग्री लेने के बाद उन्होंने ओडिशा के राज्य सचिवालय में नौकरी की.राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने 1997 में की जब वो नगर पंचायत का चुनाव जीत कर पहली बार स्थानीय पार्षद (लोकल कौंसिलर) बनी. एक पार्षद से लेकर राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने तक का उनका सफर देश की सभी आदिवासी महिलाओं के लिए एक आदर्श और प्रेरणा है.

अपनी शिक्षा और साफ़ सुथरी राजनैतिक छवि के कारण द्रौपदी मुर्मू को बीजेपी के आलाकमान नेताओं से हमेशा अच्छे और महत्त्वपूर्ण पदों के लिए वरीयता मिलती रही है. वह बीजेपी के सामाजिक जनजाति (सोशल ट्राइब) मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के तौर पर काम करती रही.

गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी में सबसे पहले पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का नाम आया था. लेकिन बाबरी विध्वंस मामले में  मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी सहित 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाये जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद द्रौपदी मुर्मू की दावेदारी मजबूत हुई है. महिला और अच्छी छवि के चलते विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी दौड़ में हैं. लेकिन उनकी सेहत उनकी दावेदारी कमजोर .कर  रही है. दलित और दक्षिण के नाम पर केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू का नाम भी चर्चा में हैं. उनके नाम पर विपक्ष की सहमति बन पाएगी, इस पर भाजपा को ही संदेह है.ऐसी दशा में द्रौपदी मुर्मू की दावेदारी अधिक मजबूत  बताई जा रही है.

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