क्या 2019 के लोक सभा चुनाव तक दिखेगी विपक्षी एकता

बंगलुरु : कर्नाटक में बुधवार को जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षियों का जमावड़ा रहा. इस समारोह में 14 दलों के दिग्गज नेताओं ने भाग लिया. इसे मिशन 2019 की तैयारियों के रूप में देखा जा सकता है , लेकिन सवाल यह है कि क्या यह गैर-भाजपा दलों की एकता 2019 लोकसभा चुनाव तक कायम रह पाएगी?

बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस का जेडीएस को मुख्यमंत्री पद के लिए समर्थन देने के बाद अचानक विपक्षी नेताओं को नए राजनीतिक समीकरण के चलते गोलबंद होते देखा गया.ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को छोड़कर अधिकांश गैर-बीजेपी दलों के नेता एक मंच पर मौजूद थे. 1996 के बाद भाजपा विरोधी दलों की यह एकता देखने को मिली.यदि यह एकता लोक सभा चुनाव तक कायम रही तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 2019 की राह कठिन रहेगी इसमें कोई दो मत नहीं है.

उल्लेखनीय है कि इस शपथ ग्रहण समारोह से भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने को ताकत तो मिली है, क्योंकि इस बहाने विपक्षी दिग्गज एक मंच पर नजर आए.कांग्रेस-जेडीएस  के अलावा एनसीपी, सपा, बसपा, टीडीपी, टीएमसी, टीआरएस, आप, सीपीएम, आरएलडी, डीएमके, मक्कल नीधि मैयम, आरजेडी के नेता शामिल हुए. मायावती का सोनिया गाँधी से गर्मजोशी से मिलना आकर्षण का केंद्र रहा. लेकिन लगभग सभी दलों के वरिष्ठों के पीएम बनने की महत्वाकांक्षा के कारण यह एकता कायम रहने पर भी संदेह व्यक्त किया जा रहा है. आगे क्या होगा यह तो वक्त बताएगा.

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