आधार पर सुप्रीम कोर्ट की सरकार को चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट में कल आधार कार्ड की अनिवार्यता और सरकारी सेवाओं व सुविधाओं से इसे जोड़ने की मुहिम पर सुनवाई की गई. मामले में दी गई दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, कि आधार ना होने पर किसी भी गरीब को सामाजिक कल्याणकारी योजना से वंचित ना किया जाए. कोर्ट ने कहा कि गरीब लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं में आधार के अलावा पहचान के लिए अन्य प्रमाण या कागजात का इस्तेमाल किया जाए.'' जस्टिस ए के सीकरी ने कहा कि ज्यादातर गरीब लोगों को ये नहीं पता कि वो वैकल्पिक पहचान का दस्तावेज भी दे सकते हैं. ऐसे में सरकार ऐसे कदम उठाए जिससे लोगों को जागरूक किया जा सके कि वो पहचान के दूसरे दस्तावेज लगा सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल की दलील के जवाब में अपने विचार रखे. सिब्बल ने दलील दी थी कि आधार ना होने पर गरीबों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए सिब्बल ने कहा कि आधार कार्ड न होने पर मिड डे मील, विधवा पेंशन आदि की सुविधा देने से सरकारी महकमे इंकार कर देते हैं. सिब्बल ने कहा कि इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट अंतरिम आदेश जारी करे. वही सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार ने पहले ही इन योजनाओं के लिए आधार रजिस्ट्रेशन की डेडलाइन 31 मार्च तक बढ़ा दी है. AG ने भरोसा दिलाया कि इन योजनाओं के लाभ से किसी को वंचित नहीं रखा जाएगा.

ASG तुषार मेहता ने कहा कि सिर्फ चार फीसदी लोगों के पास आधार नहीं है. सुनवाई के दौरान ही पीठ के सदस्य जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि केंद्र को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि आधार ना देने की वजह से किसी को इस लाभ से वंचित ना रखा जाए. इसके लिए राशन कार्ड या वोटर आईकार्ड लिया जाना चाहिए. मामले की अगली सुनवाई संविधान पीठ 13 फरवरी को करेगी.

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