अमेरिका-चीन में ट्रेड वॉर संभव

अमेरिका द्वारा चीन के 1300 उत्पादों पर अधिक टैक्स के ऐलान के महज 11 घंटे बाद चीन सरकार ने पलटवार करते हुए अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड पर धमकी दे दी है जिसके बाद अमेरिका और चीन ट्रेड वॉर की स्थिति में पहुंच रहे हैं. अमेरिकी सरकार के ट्रेजरी बॉन्ड का सबसे बड़ा खरीदार चीन है. लिहाजा अमेरिका ने सबसे ज्यादा विदेशी कर्ज चीन से लिया है. ट्रेड वॉर की दिशा में बढ़ते हुए ट्रंप के फैसले के बाद चीन ने संकेत दिया है कि वह अपने अमेरिकी ट्रेजरी पोर्टफोलियो में कटौती कर सकता है. वहीं चीन ने साफ शब्दों में यह भी कहा है कि यदि अमेरिका चीन के सामने प्रतिबंध लगाता रहेगा तो उसके लिए किसी युद्ध में न्यूक्लियर ऑप्शन खुला रहेगा.  

चीन सरकार के पास लगभग 1.17 ट्रिलियन डॉलर की अमेरिकी ट्रेजरी मौजूद है. इसके चलते चीन अमेरिका का सबसे बड़ा विदेशी कर्जदाता है. यदि चीन सरकार ट्रेड वॉर के चलते अपने ट्रेजरी पोर्टफोलियों में कटौती की पहल करता है तो कुछ जानकारों का दावा है अमेरिकी सरकार के खर्च क्षमता के सामने कड़ी चुनौतियां खड़ी हो जाएगी. चीन की इस चाल से अमेरिकी बॉन्ड ईल्ड में इजाफा हो जाएगा और अमेरिकी सरकार को अपना खर्च पूरा करने के लिए विदेशी कर्ज लेना महंगा हो जाएगा.

हालांकि डबल लाइन कैपिटल एलपी ने न्यूज एजेंसी रायटर को बताया है कि जबतक चीन के पास अमेरिकी बॉन्ड मौजूद है तबतक इस ट्रेड वॉर में चीन का पलड़ा भारी रहेगा. लेकिन चीन यदि बॉन्ड में अपने निवेश में कटौती करने का कदम उठाता है तो उसे इस फायदे से भी हाथ धोना पड़ेगा. गौरतलब है कि किसी देश को अपनी करेंसी में जानबूझकर बदलाव करने का फायदा एक्सपोर्ट में मिलता है. घरेलू करेंसी की यूं कम हुई वैल्यू से उत्पादकों के लिए एक्सपोर्ट करना ज्यादा फायदेमंद हो जाता है और सरकार को इसका फायदा डॉलर रिजर्व बढ़ाने में मिलता है.

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