जीडीपी सुधारने के करना होगा यह काम, बढ़ानी चाहिए महिलाओं की भागीदारी

नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2020-21 निर्मला सीतारमण शनिवार को केंद्रीय बजट पेश करने जा रही हैं. बजट से लोगों, निवेशकों, उद्योगपतियों एवं विश्लेषकों काफी उम्मीद लगा रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना हैं कि आर्थिक क्षेत्र में देश की GDP ग्रोथ को दुबारा उसी स्थान पर लाने के लिए सरकार को Personal Income Tax में कटौती, पूंजीगत निवेश बढ़ाने एवं नकदी की उपलब्धता सुनिश्चित करने कई कदम उठाये जाने चाहिए. इस बार उन्होंने ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को वित्तीय तंत्र से जोड़ने की बात कही हैं.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कृषि क्षेत्र से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश के बिना स्थिर वृद्धि दर बनाये रखना बड़ी ही मुश्किल का कार्य होगा. निर्मला सीतारमण ने ये भी कहा की इस बार वित्त मंत्रालय के सभी अधिकारियों के लिए यह बजट तैयार करना बहुत चुनौतीभरा होने वाला है. वित्त वर्ष में बढ़ते राजकोषीय घाटे, टैक्स कलेक्शन में भारी कमी एवं बढ़ती महंगाई दर के बीच आय कर में कटौती का फैसला बहुत ही कठिन कार्य है.

आर्थिक मामलों जानकारो की सलाह हैं कि खपत बढ़ाने के लिए आय कर एवं Corporate Tax में कटौती की सिफारिश कर रहे हैं. ऐसी परिस्थितियों में दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हिमांशु सिंह का कहना है कि सरकार को कृषि क्षेत्र के इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को लेकर कुछ अलग प्रयास किये जाने चाहिए. इन्फ्रास्ट्रक्चर को कृषि क्षेत्र में बढ़ाना बहुत ही मुश्किलभरा कार्य माना जा रहा हैं. कृषि क्षेत्र को विकसित करने के लिए सिंचाई सुविधाओं जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करना बहुत ही आवश्यक हैं इसके बिना स्थिर वृद्धि तक पहुँचने में काफी परेशानिया आएगी. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार को पूंजीगत निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाने चाहिए.

शिल्पी जौहरी फाइनेंशियल प्लानर का मानना हैं कि आने वाले बजट में महिलाओं के वित्तीय समावेशन को जरूरत ध्यान देना चाहिए और इसको लेकर कई कदम उठाने चाहिए. सरकार महिला उद्यमियों, नौकरी पेशा करने वाली वुमेन के अनुकूल कदम जाने चाहिए और इसके लिए अधिक से अधिक महिलाएं वित्तीय तंत्र में लाना होंगी. जिससे देश की इकोनॉमी को मदद मिलेगी. महिलाओं को टैक्स में कुछ अधिक छूट दी जाने चाहिए ये भी उन्होंने सुझाव देते हुए जौहरी ने बताया कि , ''गृहणियों के हित में भी कदम उठाए जाने की जरूरत है. उनके श्रमबल को मान्यता दिए जाने की जरूरत है क्योंकि उनकी भी ऊर्जा और मेहनत तो लग ही रही है.''

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