सुख-समृध्दि पाने के लिए पूजा के दौरान करें कुछ खास मंत्र का जाप

हिन्दू धर्म में मंत्रो का विषेश महत्व माना गया है, इसके द्वारा आप कई तरह के कामों मे सिध्दी प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप सही मंत्र का सही जगह इस्तेमाल करें। इसके अलावा अगर आप अलग-अलग भगवान कि कृपा पाना चाहते हैं, तो इसके लिए भी आपको भगवान की पूजा या फिर आराधना करने के दौरान उन्ही भगवान से संबधित मंत्र का उच्चारण करना होगा, ऐसा करने से आपको पूजा में सफलता प्राप्त होगी साथ ही भगवान कि कृपा दृष्टि भी आप पर बनी रहेगी। आज हम आपसे कुछ खास भगवान के मंत्रो के बारे मे चर्चा करने वाले हैं, यहां पर हम कुछ ऐसे ही खास मंत्र के बारे में जानेगें।

श्रीगणेश – मुश्किल कामों में कामयाबी, रुकावटों को दूर करने, बुद्धि लाभ के लिए इस गणेश गायत्री मंत्र का स्मरण करना चाहिए – ॐ एकदृंष्ट्राय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्।

विष्णु जी – पालन-पोषण की क्षमता व काबिलियत बढ़ाने या किसी भी तरह से सफल बनने के लिए विष्णु गायत्री मंत्र का विशेष महत्व है – नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।

शिव जी – दायित्वों व कर्तव्यों को लेकर दृढ़ बनने, अमंगल का नाश व शुभता को बढ़ाने के लिए शिव गायत्री मंत्र बड़ा ही प्रभावी माना गया है – ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।

कृष्ण जी – सक्रियता, समर्पण, निस्वार्थ व मोह से दूर रहकर काम करने, खूबसूरती व सरल स्वभाव की चाहत कृष्ण गायत्री मंत्र पूरी करता है – ॐ देवकीनन्दाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्।

लक्ष्मी – रुतबा, पैसा, पद, यश व भौतिक सुख-सुविधाओं की चाहत लक्ष्मी गायत्री मंत्र शीघ्र पूरी कर देता है – ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।

अग्रि – ताकत बढ़ाने, प्रभावशाली व होनहार बनने के लिए अग्निदेव का स्मरण, अग्नि गायत्री मंत्र से करना शुभ होता है- ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि तन्नो अग्निः प्रचोदयात्।

हनुमानजी – निष्ठावान, भरोसेमंद, संयमी, शक्तिशाली, निडर व दृढ़ संकल्पित होने के लिए हनुमान गायत्री मंत्र को अचूक माना गया है – ॐ अञ्जनीसुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो मारुतिः प्रचोदयात्।

राम – धर्म पालन, मर्यादा, स्वभाव में विनम्रता, मैत्री भाव की चाहत राम गायत्री मंत्र से पूरी होती है – ॐ दाशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्।

तुलसी – सेवा भावना, सच्चाई को अपनाने, सुखद दाम्पत्य, शांति व परोपकारी बनने की चाहत तुलसी गायत्री मंत्र पूरी करता है – ॐ श्री तुलस्यै विद्महे विष्णु प्रियायै धीमहि तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।

 

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