इन दिशाओं के दोषों से आती है विवाह में अड़चनें

हर व्यक्ति के जीवन के चार कर्म होते है धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष जो उसके जीवन को पूर्ण करते है. शादी भी हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है जिससे उसे सांसारिक सुख प्राप्त होता है. इस संसार में बहुत से व्यक्ति ऐसे है जो अपनी शादी को लेकर परेशान रहते है उनकी बहुत कोशिशों के बाद भी किसी न किसी कारण से उनकी शादी नहीं हो पाती है. आज हम आपको कुछ ऐसे ही वास्तु दोष के विषय में बताएँगे जो आपकी शादी में बाधा उत्पन्न करते है. वास्तु शास्त्र के अनुसार व्यक्ति के जीवन में शादी के सम्बन्ध में तीन दिशाएं महत्वपूर्ण मानी जाती है यदि व्यक्ति इन दिशाओं का ध्यान रखकर कोई भी उपाए करता है तो उसकी शादी की इच्छा जल्द ही पूरी होती है. ये दिशाएं है पूर्व दिशा,दक्षिण-पूर्व दिशा और दक्षिण-पश्चिम दिशा आइये जानते है इन दिशाओं का महत्व क्या है.

पूर्व दिशा- पूर्व दिशा में अर्यमा देव का वास होता हो जो जिस स्त्री के पास पुरुष नहीं है उसे पुरुष और जिस पुरुष के पास स्त्री नहीं है उसे स्त्री प्रदान करते है सारांस में हम यह कह सकते है की पति पत्नी की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के लिए उनके घर का पूर्व कोण वास्तु के अनुसार सही होना चाहिए.

दक्षिण-पूर्व दिशा- ये दिशा अग्नि तत्व का प्रतीक मानी जाती है और अग्नि का उपयोग सभी प्रकार के धार्मिक तथा मंगल कार्यों में किया जाता है इसके बिना कोई भी शुभ कार्य पूर्ण नहीं होता है. हर व्यक्ति के जीवन में एक उत्साह और उमंग का होना अतिआवश्यक होता है और शारीरिक रूप से व्यक्ति का स्वस्थ हिना भी आवश्यक है जिसे लिय अग्नि तत्व महत्वपूर्ण माना गया है जो व्यक्ति की शादी के लिए भी जरूरी है.

दक्षिण-पश्चिम दिशा- इस दिशा को व्यक्ति की शादी के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानते है क्योकि इसी दिशा से सभी प्रकार के रिश्तों का सम्बन्ध होता है और यह दिशा पितरों से जुड़ी होने के कारण व्यक्ति की वंश वृद्धि का पर्याय मनी जाती है. किसी भी नए रिश्ते को जोड़ना और पुराने रिश्ते की कमियों को दूर करने की शक्ति हमें इसी दिशा से प्राप्त होती है. इसलिए यह दिशा व्यक्ति की शादी के लिए उपयुक्त मानी गई है.

 

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