30 जुलाई को है अधिक मास का पहला प्रदोष व्रत, ऐसे करें भोलेनाथ की पूजा

सावन के महीने में आने वाले प्रदोष व्रत की खास अहमियत मानी जाती है. इस माह में आने वाले प्रदोष व्रत में भगवान महादेव की पूजा से जीवन में हो रही सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं. सावन प्रदोष व्रत के दिन भगवान महादेव के जलाभिषेक और पूरी विधि विधान से महादेव की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि की कोई कमी नहीं रहती है. हिंदू धर्म के पंचाग के मुताबिक, सावन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी यानी तेरहवीं तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस बार ये तिथि 30 जुलाई को सुबह 10 बजकर 34 मिनट से 31 जुलाई को प्रातः 7 बजकर 19 मिनट तक हैं. 30 जुलाई रविवार को सावन माह का दूसरा प्रदोष व्रत है. प्रदोष काल शाम 7 बजकर 14 मिनट से रात 9 बजकर 29 मिनट तक है.

प्रदोष व्रत पूजा-विधि:- प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। अगर संभव है तो व्रत करें। भगवान महादेव का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान महादेव को पुष्प अर्पित करें। इस दिन महादेव के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।  भगवान महादेव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान महादेव की आरती करें।  इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

प्रदोष व्रत पूजा-सामग्री:- पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।

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