क्यों मनाते हैं शिक्षक दिवस?

आप सभी जानते ही होंगे भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. यह दिन बहुत ही ख़ास माना जाता है. इस दिन देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण का जन्मदिवस होता है और उसी के अवसर पर शिक्षक दिवस का पर्व मनाते है. जी दरअसल सर्वपल्ली राधाकृष्ण ने शिक्षा के क्षेत्र में कई अहम योगदान दिये थे और इसी के साथ उन्होंने अपने जीवन के 40 साल तक अध्यापन का कार्य किया.

वह एक राजनीतिज्ञ, विद्वान, और दार्शनिक थे. जी दरअसल उन्हे जीवन में कई सम्मान मिले थे. वहीँ जब 1917 में उनकी पहली किताब “The Philosophy of Rabindranath Tagore” आई तब विश्व को भारत के दर्शनशास्त्र की महत्ता पता चली. वह साल 1931-36 तक आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति रहे थे और साल 1936-52 के बीच उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्विद्यालय में अध्यापन किया. कहा जाता है डॉ. राधाकृष्णन कुछ समय के लिए बनारस हिंदू विश्विद्यालय के कुलपति भी रहे थे. वहीँ उन्हें साल 1936 में नाईटहुड के सम्मान से और साल 1952 में भारत रत्न दिया गया था. अब आइए हम आपको बताते हैं कैसे हुई शिक्षक दिवस की शुरुआत.

कैसे हुई शिक्षक दिवस की शुरुआत?: जी दरअसल एक बार डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के सहयोगियों नें उनसे उनका जन्मदिवस मनाने के बारे में पूछा था. उस दौरान उन्होंने इच्छा जाहिर की थी कि “मेरे जन्मदिन को मनाने की जगह यदि इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए, तो मुझे ज्यादा खुशी होगी.” उसी के बाद से राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. कहते हैं उसके बाद आधिकारिक तौर पर 5 सितंबर 1962 से भारत में शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत हो गई.

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