Tandav Review: कदम-कदम पर धोखे की कहानी है तांडव, देखकर आ जाएगा मजा

वेब सीरीज- तांडव रेटिंग – 3।4 निर्देशक - अली अब्बास जफर एपिसोड - 9 एपिसोड/ हर एपिसोड की अवधि 35 से 40 मिनट स्टारकास्ट - सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, सुनील ग्रोवर, मोहम्मद जीशान अयूब, तिग्मांशु धूलिया, कुमुद मिश्रा, गौहर खान, कृतिका कामरा, परेश पाहुजा, डिनो मोरिया।

अमेजन प्राइम पर ‘तांडव’ को रिलीज कर दिया गया है। यह सीरीज 9 अलग भाग में बंटी हुई है।

कहानी- इस सीरीज की कहानी प्यार, महत्वकांक्षा, लालच, घमंड, नफरत और ईष्या को दिखाने वाली है। इसमें आपको धोखे पर धोखे देखने को मिलेंगे। कुर्सी के इस खेल में कोई भी सही या गलत के साथ नहीं दिखाई देगा, दिखेगी तो बस राजनीति। इस सीरीज की कहानी की शुरुआत में दक्षिणपंथी पार्टी (जेएलडी) जन लोक दल तीसरी बार आम चुनाव जितने को तैयार है। उसके बाद ये बात तय हो गई है कि देवकी नंदन (तिग्मांशु धूलिया) अब एक बार फिर प्रधानमंत्री के लिए तैयार हैं, लेकिन नतीजों के एक दिन पहले उनका निधन हो गया। इस खबर से देश में हडकंप मच जाता है। उनके निधन के बाद हर कोई चाहता है कि उनका पुत्र समर प्रताप सिंह (सैफ अली खान) इस कुर्सी पर बैठे लेकिन वो इस फैसले को ठुकरा देता है। उसके बाद पक्ष और विपक्ष के बीच ही नहीं बल्कि पार्टी के बीच भी उथल पुथल शुरु हो जाती है। देखते ही देखते प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए कई दावेदार खड़े हो जाते हैं, लेकिन जीत किसे मिलेगी यह पूरी कहानी आगे बढ़ते हुए दिखाती है। वहीं एक तरफ VNU (विवेकानंद नेशनल यूनिवर्सिटी) की राजनीति है, इस जगह पर किसान आंदोलन के साथ खड़ा होकर युवा छात्रनेता शिवा शेखर (मोहम्मद जीशान अय्यूब) रातोंरात सोशल मीडिया के द्वारा सुर्ख़ियों का हिस्सा बन जाता है। उसके बाद उसके भाषण की गूंज प्रधानमंत्री कार्यलय तक चली जाती है और ये दोनों कहानियां आगे जाकर बिलकुल अलग होते नजर आती हैं। वहीं कुछ एपिसोड के बाद जब ये दोनों कहानियां आपस में मिलती हैं तो शुरू होता है तांडव।

अभिनय - इसमें हुए बेहतरीन कास्टिंग, सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, सुनील ग्रोवर समेत सभी सितारे कमाल के नजर आए हैं। वहीं तिग्मांशु धूलिया का किरदार भी प्रभावी रहा। इसके अलावा युवा छात्र नेता के रूप में जीशान अय्यूब ने भी धमाल मचाया।

निर्देशन - अली अब्बास जफर ने इस कहानी को भले ही काल्पनिक बताया है, लेकिन यह काफी सही और मजेदार है।

कमजोर कड़ियां - वैसे तो कोई कमजोर कड़ी नहीं कही जा सकती लेकिन फिर भी अगर बात करें तो सीरीज की धीमी रफ्तार आपको बोर कर सकती है।

देखें या न देखें - अगर आपको राजनीति अच्छी लगती है तो यह फिल्म आपको जरूर देखना चाहिए। 

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