ताज़ महोत्सव : ताज़ के आंगन में बहुरंगी आयोजन

आगरा : आगरा जाने वाला हर पर्यटक ताज़ महल का दीदार करना चाहता है, लेकिन यहां ताज़ के आंगन में हर साल फरवरी माह में होने वाले ताज महोत्सव की बात इसलिए निराली है ,क्योंकि यह आयोजन प्रेम, मोहब्बत के साथ कला, संस्कृति और साहित्य को अपने में समेटे होने से इसका स्वरूप बहुरंगी हो जाता है. जिसे निहारने के लिए देश -विदेश के पर्यटक यहां हर साल आते हैं. चुनावों के कारण  इस साल यह महोत्सव 18 से 27 मार्च तक चलेगा .

गौरतलब है कि तजा महोत्सव की शुरुआत 26 साल पहले 1992 में की गई थी. इस महोत्सव के सफर के बारे में गजल गायक सुधीर नारायण ने बताया कि सर्किट हॉउस में शरद उत्सव से शुरू हुए इस सफर में ताज़ को पहचान देने के मकसद से ऐसे महोत्सव की जरूरत थी जिसमें कला , संस्कृति , संगीत और स्वाद का मिश्रण हो. तब इस उत्सव का स्वरूप गांव के मेले जैसा था.20 वीं सदी के आरम्भ में कमिश्नर सुशील चन्द्र त्रिपाठी ने इस महोत्सव के भूमंडलीकरण पर जोर दिया और फिर मेले को रोचक और आकर्षक बनाने का दौर, शुरू हुआ .नई और रोचक थीम शामिल की गई. प्रस्तुतियों में नया पन लाने के साथ ही रंगारंग प्रस्तुतियों के अलावा नए - नए करतब और हास्य व्यंग्य के कलाकारों को भी स्थान दिया जाने लगा.कालांतर में इसमें विदेशी गीत संगीत को भी जगह मिली.लेकिन भारतीय संस्कृति का नुकसान नहीं होने दिया, इसलिए यह ताज़ महोत्सव हर साल अपनी अलग ही आभा बिखेरता है.

इतना अच्छा आयोजन होने के बाद भी अफ़सोस इस बात का है कि यह आयोजन पूरी तरह जन सहयोग से आयोजित किया जाता है.इसके लिए राज्य या केंद्र सरकार की ओर से कोई आर्थिक मदद नहीं दी जाती है , जबकि इस विशेष आयोजन में देश -विदेश के मेहमान यहां आनंद लेने आते हैं.आयोजकों ने इसके लिए करीब पांच करोड़ का फंड जारी करने की मांग की है , ताकि इस ताज़ महोत्सव को और भी भव्य रूप दिया जा सके.

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