विभाजन के समय पाकिस्तान गए लोगों के वंशज चाहते हैं भारत में पुनर्वास, सुप्रीम कोर्ट सुनाएगी फैसला

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर पुनर्वास कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए राज्य सरकार से सवाल पुछा कि जो लोग 1947 से 1954 के बीच पाकिस्तान चले गए थे, उनके वंशजों को किस आधार पर फिर जम्मू कश्मीर में पुनर्वास की इजाजत दी जा सकती है. जस्टिस केएम जोसेफ ने प्रदेश सरकार से कानून में दिए गए वंशज शब्द की परिभाषा पूछते हुए कहा कि कानून को पढ़ने से लगता है कि वंशज शब्द उन्हीं के लिए है जो गए थे और वापस आना चाहते हैं, इस शब्द को उनकी पत्नियों और बच्चो पोतों तक आगे किस आधार पर बढ़ाया जा सकता है.

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अदालत ने कहा कि संविधान में ऐसा कोई विचार नहीं है जो उनके वंशजों के वापस आने की बात बताता हो, कोर्ट ने प्रदेश सरकार से यह भी पुछा कि इस कानून के तहत अभी तक कितने लोगों ने आवेदन दिया है और आवेदन करने वालों में कितने राज्य के मूल निवासी हैं तथा कितने आवेदन उनके वंशजों की तरफ से प्राप्त हुए हैं.

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इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, संजय किशन कौल व केएम जोसेफ की पीठ ने सुनवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी. आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर पार्टी ने जम्मू कश्मीर पुनर्वास कानून 1982 (जम्मू कश्मीर ग्रांट आफ परमिट फार रिसेटेलमेंट इन (या परमानेंटर रिर्टन टू) द स्टेट एक्ट 1982) की वैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, यह कानून 1947 से 1954 के बीच पाकिस्तान चले गए लोगों और उनके वंशजों को जम्मू कश्मीर में पुनर्वास की अनुमति देता है.

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