नई दिल्ली: दोषी साबित होने तक दुष्कर्म और यौन शौषण के आरोपियों की पहचान उजागर न करने की मांग वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए कहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि दोषी साबित होने तक कोई शख्स कानूनी तौर पर निर्दोष माना जाता है. किन्तु इस तरह के आरोप तत्काल समाज में उसके सम्मान को नुकसान पहुंचा देते हैं. ये याचिका यूथ बार एसोसिएशन ने दाखिल की है. दरअसल, याचिका में यौन अपराध के मामलों में आरोपों की सच्चाई पर जांच पूरी होने तक अभियुक्त की पहचान छिपाने के लिए दिशा निर्देश तय करने के संबंध में निर्देश देने का आग्रह किया गया है. याचिका के माध्यम से मीडिया को भी यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह सक्षम एजेंसी द्वारा जांच पूरी होने तक यौन अपराध के आरोपों पर आरोपी शख्स की पहचान का खुलासा न करे. सर्वोच्च न्यायालय में यह याचिका यूथ बार एसोसिएशन ने दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि कभी-कभी झूठे आरोपों से एक बेकसूर शख्स का पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है और ऐसे कई उदाहरण रहे हैं जिनमें आरोपी को साजिश के तहत फंसाया गया था और उन्होंने इस वजह से ख़ुदकुशी कर ली.आपको बता दें कि यौन अपराध के मामलों में पीड़ित की पहचान सार्वजनिक नहीं की जा सकती है. टाइगर डे पर बोले पीएम मोदी, 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का था लक्ष्य, हमने पहले ही पूरा किया अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस: बाघों के लिए मशहूर है भारत, जानिए रोचक बातें ICICI ने जारी किए आंकड़े, पहली तिमाही में कमाए इतने करोड़