सपा की मान्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हुआ सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: प्रत्याशी के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी न देने का इल्जाम लगाते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) की मान्यता रद्द करने की मांग वाली अर्जी पर सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत सहमत हो गई है। यह जनहित याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय ने प्रमुख न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच से इस याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।

उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा था कि यूपी में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। ऐसे में आपराधिक लोगों को रोकने के लिए इस याचिका पर तत्काल सुनवाई किए जाने की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता ने गैंगस्टर ऐक्ट में जेल गए सपा के उम्मीदवार रहे नाहिद हसन का नाम लिया। उन्होंने कहा कि सपा ने आपराधिक रिकॉर्ड वाले नाहिद हसन को उम्मीदवार घोषित किया। यही नहीं निर्वाचन आयोग के आदेश के अनुसार, नाहिद के बारे में अपनी वेबसाइट, सोशल मीडिया, प्रिंट एवं टीवी मीडिया पर जानकारी भी नहीं दी। यह आयोग और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना है। ऐसे में समाजवादी पार्टी सहित ऐसे सभी दलों का पंजीकरण रद्द होना चाहिए, जो अपने प्रत्याशियों के आपराधिक इतिहास का खुलासा नहीं करते हैं। 

उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव में कैराना से सपा ने नाहिद हसन को टिकट दिया है। उनका आरोप है कि हसन एक गैंगस्टर है, मगर सपा ने इस उम्मीदवार के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी समाचार पत्र, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में नहीं दी है। यही नहीं उनके चयन का कारण भी नहीं बताया। याचिकाकर्ता का कहना है कि उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड के संबंध में जानकारी नहीं देना सुप्रीम कोर्ट के फरवरी 2020 के आदेश के खिलाफ है। बता दें कि विवाद के बाद सपा ने कैराना से नाहिद हसन को हटाकर उनकी बहन इकरा को उम्मीदवार बना दिया है। 

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