बॉर्डर पर जाने से पहले स्पर्म फ्रीज़ करा रहे जवान, ये हैं आंकड़े...

गोरखपुर: जान हथेली पर लेकर सीमा पर जाने वाले सभी जवान खतरे को देखते हुए 'स्पर्म फ्रीजिंग' तकनीक अपना रहे हैं। इनमें ऐसे जवान भी शामिल हैं, जिनकी हाल में शादी हुई है। बच्चे नहीं हुए हैं और उन्हें बॉर्डर पर लड़ने जाना है। गंभीर चोट लगने या शहादत की नौबत आने पर उनकी संतति इस तकनीक के जरिए जन्म ले सकती है। गत चार वर्षों में पूर्वांचल के 350 जवानों ने स्पर्म फ्रीज कराए हैं। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद छुट्टी से वापस लौट रहे 11 जवानों ने स्पर्म सुरक्षित कराए हैं। इनमें से छह जवानों ने एक ही फर्टिलिटी सेंटर के स्पर्म फ्रीजर में स्पर्म फ्रीज करवाए हैं।

नवविवाहित जवानों ने एहतियातन इस सुविधा को अपनाया है। हालांकि, अभी तक इस तरह की नौबत नहीं आई है कि किसी जवान की संतान के जन्म के लिए फ्रीज स्पर्म का इस्तेमाल करना पड़ा हो। यानि ऐसे तमाम जवान सकुशल-स्वस्थ हैं। गोरखपुर में यह सुविधा तीन निजी अस्पतालों में उपलब्ध है, जहां पांच वर्षों तक स्पर्म सुरक्षित रखवा सकते हैं। इसकी फीस महज तीन हजार रुपये वार्षिक है। जवानों के अलावा अधिक यात्रा करने वाले कुछ इंजीनियर, मैनेजर और एनआरआई भी इस तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि, ऐसे अधिकतर मामलों में वजह कोई बीमारी होती है। इस तकनीक में स्पर्म को पत्नी के ओवा से निषेचित कराकर उसे मां के गर्भ में प्रत्यारोपित कराया जाता है।

स्पर्म को लिक्विड नाइट्रोजन के कंटेनर में -197 डिग्री सेल्सियस ठंडक में रखा जाता है। स्पर्म बर्फ के टुकड़े की तरह एकदम सुरक्षित रहते हैं। डॉ. सुरहिता करीम, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के मुताबिक, स्पर्म सुरक्षित रखवाने वालों में सबसे अधिक सेना व अर्द्धसैनिक बलों के जवान हैं। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद हमारे सेंटर में छह सैनिकों ने स्पर्म फ्रीज कराए हैं। किन्तु हम उनकी पहचान उजागर नहीं कर सकते।

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