सोहराबुद्दीन मामले में सीबीआई ने किया अदालत से आग्रह, कहा पूरी तरह ख़ारिज न की जाएं गवाहियां

मुंबई: सोहराबुद्दीन शेख कथित फर्जी एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने सोमवार को आग्रह किया है कि बयानों से मुकर गए अभियोजन के गवाहों की गवाहियों को पूरी तरह खारिज न की जाएं, वहीं अदालत ने कहा है कि सीबीआइ की थ्योरी और आरोप पत्र पहेलियों और अस्पष्ट शून्यता से भरा पड़ा है. 

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सीबीआइ ने कहा है कि सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की 2005 और 2006 में की गई हत्या पूर्व नियोजित थी. वहीं अदालत का कहना है कि अगर एजेंसी की जांच में कुछ कमियां हैं तो ये आरोपितों को बरी करने या उन्हें लाभ पहुंचाने का आधार नहीं हो सकता है. उल्लेखनीय है कि इस मामले में 200 गवाहों की गवाही ली गई थी जिसमें से 92 गवाह अपने बयानों से मुकर गए हैं. 

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इसके बाद सीबीआइ की ओर से विशेष अदालत के जज एसजे शर्मा के समक्ष अंतिम दलीलें पेश कर रहे विशेष लोक अभियोजक बीपी राजू ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभियोजन के कई अहम गवाह अपने बयानों से पलट गए हैं. उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने कई अवसरों पर कहा है कि अदालतों को उन गवाहों की गवाहियों पर भी ध्यान देनाचाहिए जो अपने बयानों से मुकर गए हैं. इस संदर्भ में उन्होंने गुजरात पुलिस के दो कांस्टेबलों नाथूबा जडेजा और गुरदयाल सिंह की गवाहियों का विशेष उल्लेख किया है. उन्होंने कहा कि दोनों की गवाहियां बेहद अहम् हैं. 

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