इस बार गर्भगृह में 16 दिन तक एकांतवास में रहेंगे श्री जगन्नाथ

जगत नियंता भगवान श्री जगन्नाथ ज्येष्ठ पूर्णिमा पर महास्नान के बाद एकांतवास के लिए जा चुके हैं. जी दरअसल एचईसी के जगन्नाथपुर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में पहली बार सुबह में महास्नान अनुष्ठान हो चुका है. इसी के साथ मिली जानकारी के मुताबिक मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित ब्रजभूषण नाथ मिश्रा समेत अन्य ने सुबह आठ बजे गर्भगृह में महास्नान अनुष्ठान संपन्न कराया. वहीं वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सर्वोषधि और गंगाजल से तैयार जल से 51 कलश से पहले भगवान श्री जगन्नाथ, फिर बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र का महास्नान अनुष्ठान हुआ. केवल इतना ही नहीं जगन्नाथपुर मंदिर पुनर्निर्माण समिति के उत्तराधिकारी लाल प्रवीर नाथ शाहदेव मूल बने.

वहीं पूजा के दौरान मंदिर के मुख्य द्वार को पूर्व की तरह बंद रखा गया था और इसी के कारण बाहर से श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश नहीं कर सके. वहीं पूजा-अर्चना के बाद महाआरती हुई और इसके बाद मंदिर के पट बंद कर दिए गए. आप सभी को बता दें कि जगन्नाथपुर मंदिर के इतिहास में पहली बार श्री जगन्नाथ स्वामी का महास्नान गर्भगृह में हुआ. वहीं इससे पूर्व परम्परा को माना जाए तो विग्रहों को मंदिर के अगले हिस्से स्नान मंडप में विराजित किया जाता था और स्नान के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रभु के दर्शन करते थे और महाआरती में शामिल होकर खुद को धन्य करते थे.

इस बार लॉकडाउन की वजह से रांची सदर एसडीओ ने बीते गुरुवार को मंदिर कमेटी को विग्रहों को यथास्थान विराजित रखने और वहीं पर महास्नान अनुष्ठान संपन्न कराने का निर्देश दिया था. वहीं लोक परंपरा के निर्वहन के लिए भगवान श्री जगन्नाथ इस बार गर्भगृह में 16 दिन तक एकांतवास में रहने वाले हैं. वहीं इस दौरान उनका शृंगार होगा. आप सभी को बता दें कि धर्मशास्त्र के मुताबिक स्नान और शृंगार गुप्त होता है. इस बार कलाकार श्री जगन्नाथ स्वामी का शृंगार करेंगे और 22 जून को शाम पांच बजे शृंगार के बाद भगवान गर्भगृह से बाहर निकलेंगे.

ग्रहण काल के दोष से बचने के लिए पढ़ें श्री कृष्ण के 108 पावन नाम

पौराणिक कथाओं में भी है हाथी का जिक्र, होती है पूजा

पथ प्रदर्शक है कबीर दास जी के यह दोहे

Related News