हर साल आने वाली हनुमान जयंती इस साल भी आने वाली है. आप सभी को बता दें कि इस साल हनुमान जयंती 8 अप्रैल को है. ऐसे में इस दिन हनुमान जी के पूजन के साथ हनुमान साठिका का पाठ करना चाहिए. जी हाँ, दरअसल इसका पाठ करने से मनुष्य की सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ दूर हो जाती है. इसी के साथ हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता कहा जाता है हनुमान साठिका का पाट विधिपूर्वक साठ दिनों तक करने चाहिये और इसे हनुमान जयंती से शुरू किया जाए तो लाभ दुगना होता है. इसके लिए सुबह उठकर शुद्ध हो लें उसके बाद विधिपूर्वक श्रीराम जी का पूजन कर ,हनुमान जी का पूजन करें तत्पश्चात् पाठ आरम्भ करें. हनुमान साठिका - जय जय जय हनुमान अडंगी। महावीर विक्रम बजरंगी।। जय कपीश जय पवन कुमारा। जय जगबन्दन सील अगारा।। जय आदित्य अमर अबिकारी। अरि मरदन जय-जय गिरधारी।। अंजनि उदर जन्म तुम लीन्हा। जय-जयकार देवतन कीन्हा।। बाजे दुन्दुभि गगन गम्भीरा। सुर मन हर्ष असुर मन पीरा।। कपि के डर गढ़ लंक सकानी। छूटे बंध देवतन जानी।। ऋषि समूह निकट चलि आये। पवन तनय के पद सिर नाये।। बार-बार अस्तुति करि नाना। निर्मल नाम धरा हनुमाना।। सकल ऋषिन मिलि अस मत ठाना। दीन्ह बताय लाल फल खाना।। सुनत बचन कपि मन हर्षाना। रवि रथ उदय लाल फल जाना।। रथ समेत कपि कीन्ह अहारा। सूर्य बिना भए अति अंधियारा।। विनय तुम्हार करै अकुलाना। तब कपीस की अस्तुति ठाना।। सकल लोक वृतान्त सुनावा। चतुरानन तब रवि उगिलावा।। कहा बहोरि सुनहु बलसीला। रामचन्द्र करिहैं बहु लीला।। तब तुम उन्हकर करेहू सहाई। अबहिं बसहु कानन में जाई।। असकहि विधि निजलोक सिधारा। मिले सखा संग पवन कुमारा।। खेलैं खेल महा तरु तोरैं। ढेर करैं बहु पर्वत फोरैं।। जेहि गिरि चरण देहि कपि धाई। गिरि समेत पातालहिं जाई।। कपि सुग्रीव बालि की त्रासा। निरखति रहे राम मगु आसा।। मिले राम तहं पवन कुमारा। अति आनन्द सप्रेम दुलारा।। मनि मुंदरी रघुपति सों पाई। सीता खोज चले सिरु नाई।। सतयोजन जलनिधि विस्तारा। अगम अपार देवतन हारा।। जिमि सर गोखुर सरिस कपीसा। लांघि गये कपि कहि जगदीशा।। सीता चरण सीस तिन्ह नाये। अजर अमर के आसिस पाये।। रहे दनुज उपवन रखवारी। एक से एक महाभट भारी।। तिन्हैं मारि पुनि कहेउ कपीसा। दहेउ लंक कोप्यो भुज बीसा।। सिया बोध दै पुनि फिर आये। रामचन्द्र के पद सिर नाये। मेरु उपारि आप छिन माहीं। बांधे सेतु निमिष इक मांहीं।। लछमन शक्ति लागी उर जबहीं। राम बुलाय कहा पुनि तबहीं।। भवन समेत सुषेन लै आये। तुरत सजीवन को पुनि धाये।। मग महं कालनेमि कहं मारा। अमित सुभट निसिचर संहारा।। आनि संजीवन गिरि समेता। धरि दीन्हों जहं कृपा निकेता।। हनुमान जयंती: इस बार बन रहा है शुभ संयोग, गलती से भी ना करें यह काम इस शुभ मुहूर्त में करें हनुमान जयंती पर पूजन, मिटेगा कोरोना का संकट