उम्दा शायरियां

माना कि मोहब्बत की ये भी एक हकीकत है फिर भी,  जितना तुम बदले हो उतना भी नहीं बदला जाता।

 

ऐ जिंदगी तू ही बता...  पहले अधूरी थी मैं  या अब अधूरी हूँ मैं! 

ऐ जिंदगी अब तू ही बता..  ये कौन सा रिश्ता है जो  मेरी आँखों से रिसता है!

 

तुझे चाहा तो बहुत इजहार न कर सके,  कट गई उम्र किसी से प्यार न कर सके,  तूने माँगा भी तो अपनी जुदाई माँगी,  और हम थे कि तुझे इंकार न कर सके।

 

हैरत से न देख मेरे चेहरे की दरारें,  मैं वक़्त के हाथों में खिलौने की तरह था।

 

चाँदनी बन के बरसने लगती हैं  तेरी यादें मुझ पर,  बड़ा ही दिलकश मेरी  तनहाइयों का मंज़र होता है।

 

दुनिया तेरे वजूद को करती रही तलाश,  हमने तेरे ख्याल को दुनिया बना लिया.

 

हुस्न-ए-बेनजीर के तलबगार हुए बैठे हैं,  उनकी एक झलक को बेकरार हुए बैठे हैं,  उनके नाजुक हाथों से सजा पाने को,  कितनी सदियों से गुनाहगार हुए बैठे हैं.

 

औरों से कहा तुमने... औरों से सुना तुमने,  कभी हमसे कहा होता कभी हमसे सुना होता।

 

छुप-छुप के एहतमाम में सफ़र का पता चला,  वो जुदा हो गया तब उसके हुनर का पता चला,  जब एक-एक फूल उड़ा ले गई हवा,  तब जाकर बहार को मेरे घर का पता चला।

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