ये थे 'सरदार वल्लभ भाई पटेल' के अनमोल विचार

आज सरदार वल्लभ भाई पटेल की 71वीं पुण्यतिथि है.  सरदार वल्लभ भाई पटेल का 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा में जन्म हुआ था तथा 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से उनका देहांत हो गया था. उन्होंने ने ही 562 देशी रियासतों का भारत में विलय करवाया था. भारत को एक राष्ट्र बनाने में वल्लभ भाई पटेल का विशेष किरदार है. सरदार पटेल के विचार आज भी लाखों व्यक्तियों को प्ररित करते हैं. सरदार पटेल ने 22 वर्ष की आयु में 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की. आर्थिक तंगी ऐसी थी कि स्कूली शिक्षा के पश्चात् पढ़ न सके तथा पुस्तकें लेकर घर पर ही कलेक्टर की परीक्षा की तैयारी में लग गए. मेहनत एवं लगन का नतीजा हमेशा मीठा होता है तथा सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ भी ऐसा ही हुआ. उन्होंने इस परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए. तत्पश्चात, 36 वर्ष में वह इंग्लैंड चले गए तथा वहां वकालत का अध्ययन किया.

सरदार वल्लभ भाई पटेल के अनमोल विचार:-

1- "इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।" 2- "ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, उनके साथ अक्सर मैं हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है" 3- "आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।" 4- "मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा। 5- "आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।" 6- "काम करने में तो मजा ही तब आता है, जब उसमे मुसीबत होती है मुसीबत में काम करना बहादुरों का काम है मर्दों का काम है कायर तो मुसीबतों से डरते हैं लेकिन हम कायर नहीं हैं, हमें मुसीबतों से डरना नहीं चाहिये।" 7- "आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।" 8- "एकता के बिना जनशक्ति शक्ति नहीं है जबतक उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए, और तब यह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है।" 9- “जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के ऊँच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।” 10- “संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है। मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।”

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