सलमान की रिहाई पर ख़ुशी से भरी शायरियां

 

1. अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे, बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे.

2. अगर तेरी ख़ुशी है तेरे बंदों की मसर्रत में, तो ऐ मेरे ख़ुदा तेरी ख़ुशी से कुछ नहीं होता.

3. अहबाब को दे रहा हूँ धोका, चेहरे पे ख़ुशी सजा रहा हूँ.

4. ऐश ही ऐश है न सब ग़म है, ज़िंदगी इक हसीन संगम है.

5. ढूँड लाया हूँ ख़ुशी की छाँव जिस के वास्ते, एक ग़म से भी उसे दो-चार करना है मुझे.

6. एक वो हैं कि जिन्हें अपनी ख़ुशी ले डूबी, एक हम हैं कि जिन्हें ग़म ने उभरने न दिया.

7. ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ, मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया.

8. ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास, सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए.

9. जैसे उस का कभी ये घर ही न था, दिल में बरसों ख़ुशी नहीं आती.

10. मैं बद-नसीब हूँ मुझ को न दे ख़ुशी इतनी, कि मैं ख़ुशी को भी ले कर ख़राब कर दूँगा.

11. मसर्रत ज़िंदगी का दूसरा नाम, मसर्रत की तमन्ना मुस्तक़िल ग़म.

12. मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है, ये ज़िंदगी की है सूरत तो ज़िंदगी क्या है.

13. फिर दे के ख़ुशी हम उसे नाशाद करें क्यूँ, ग़म ही से तबीअत है अगर शाद किसी की.

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