1. अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे, बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे. 2. अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को, मैं ने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं. 3. अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए, अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए. 4. चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया, इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया. 5. दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है, हम भी पागल हो जाएँगे ऐसा लगता है. 6. हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं, दिल हमेशा उदास रहता है. 7. हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं, दिल हमेशा उदास रहता है. 8. हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल, उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती. 9. हमारे घर की दीवारों पे 'नासिर', उदासी बाल खोले सो रही है. 10. कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया, बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया. 11. कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब, आज तुम याद बे-हिसाब आए. 12. किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में, मिरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं. 13. मुझ से बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्र भर, ये सोच ले कि मैं भी तिरी ख़्वाहिशों में हूँ. 14. मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ें, ये लीजे आप का घर आ गया है हात छोड़ें. ये महिला है बिच्छुओं की रानी, हज़ार बिच्छूओं को सौंप रखा है ज़िस्म यह महिला है लेडी हल्क, मर्द रहते हैं कोसों दूर यहाँ शादी में कंडोम बेचने जैसी अजीब रस्में निभानी पड़ती हैं