आज है ऋषि पंचमी व्रत, जानिए इस व्रत की पौराणिक कथा

आज ऋषि पंचमी का व्रत है। यह व्रत काफी अहम् माना जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस व्रत की कथा।

ऋषि पंचमी व्रत की कथा- भविष्यपुराण में कहा गया है कि प्राचीनकाल में एक उत्तक नाम का ब्राह्मण था जो अपनी पत्नी सुशीला के साथ रहता था। उसके एक पुत्र और पुत्री थी। दोनों ही विवाह के योग्य थे। उत्तक ब्राह्मण ने सुयोग्य वर ढूंढकर अपनी पुत्री का विवाह उसके साथ कर दिया। लेकिन कुछ ही दिनों के बाद उसके पति की अकाल मृत्यु हो गई। इसके बाद उसकी पुत्री अपने मायके में पिता के पास वापस आ गई। कहते हैं कि एक दिन विधवा पुत्री अकेले सो रही थी, तभी उसकी मां ने अचानक देखा कि उसकी पुत्री के शरीर पर स्वत: ही कई प्रकार के कीड़े उत्पन्न हो रहे हैं। अपनी बेटी की ऐसी दशा देखकर उत्तक की पत्नी दुखी हो गई। उसने अपने पति को बुलाया और दिखाया कि देखो हमारी बेटी की यह स्थिति कैसे हो गई है। इसने ऐसा कौन सा पाप किया था जो उसको ऐसा दिन देखना पड़ रहा है।

उत्तक ब्राह्मण ने ध्यान लगाने के बाद देखा कि पूर्वजन्म में उनकी पुत्री किसी ब्राह्मण की पुत्री थी, लेकिन रजस्वला के दिनों में उसने पूजा के बर्तन छू लिए थे और इस पाप से मुक्ति के लिए ऋषि पंचमी का व्रत भी नहीं किया था। इस वजह से इस जन्म में इसके शरीर पर कीड़े पड़ गए। फिर पिता के कहने पर पुत्री ने पूरे विधि विधान के साथ ऋषि पंचमी का व्रत किया और तब जाकर उसे इस पाप से मुक्ति मिली।

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