क्यों होता है हीट स्ट्रोक

हीट स्ट्रोक के कारण देश में बहुत से लोगों के जान चली जाती है. ऐसे लोग अपना ज्यादा वक्त बाहर धुप में गुजारते हैं उन्हें हीट स्ट्रोक का खतरा बहुत ज्यादा होता है. इस बार मार्च महीने से ही गर्मी की मार पड़नी शुरू हो गयी है इसलिए अभी से ही आपको अपने शरीर का ध्यान रखना शुरू कर देना चाहिए ताकि आप हीट स्ट्रोक से बच सकें। गर्मी की वजह से शरीर में पानी की कमी होने से हीट स्ट्रोक होने की आशंका बढ़ जाती है.

इससे मरीज की मौत होने का खतरा भी 50 फीसदी बढ़ जाता है. मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 98 डिग्री फारेनहाइट होता है। हीट स्ट्रोक के चपेट में जाने पर यह तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट हो जाता है। यदि यह तापमान 102 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर जाने लगे तो यह मरीज के लिए खतरनाक होता है। उस स्थिति में मरीज के मस्तिष्क को नुकसान हो सकता है।

हीट स्ट्रोक के मरीज को ठंडी जगह में रखना जरूरी है। जितना हो सके उसे ठंडी हवा में रखने की कोशिश करें। धूप में बाहर निकलने से बचें, अगर किसी कारणवश बाहर निकलना पड़ रहा है तो टोपी, छाता, सनगलासिस, ढ़ीले और पूरी बाजू के कपड़े पहनकर निकलना चाहिए। थोड़ी-थोड़ी देर के बाद और जितना हो सके उतना अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए।

नींबू पानी, शरबत, नारियल पानी, फ्रूट जूस आदि तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। उपचार में जितनी देरी होगी, ये स्थति गंभीर होती जाएगी और जटिलताओं तथा मौत की आशंका उतनी ही बढ़ती जाएगी। इसलिए, जल्दी से प्राथमिक उपचार बहुत जरूरी है। हीट-स्ट्रोक से बचने के लिए दिन के सबसे ज्यादा गर्मी वाले समय में घर से बाहर मत निकलें. अत्यधिक मात्रा में पानी और जूस पीएं, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो. ढीले-ढाले और हल्के रंग के कपड़े पहने.

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