वैवाहिक दुष्कर्म नहीं है तलाक़ का आधार, अदालत ने सुनाया बड़ा फैसला

नई दिल्ली: 'वैवाहिक दुष्कर्म' को तलाक का आधार घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को ठुकरा दिया. प्रमुख न्यायाधीश डी. एन. पटेल और सी. हरिशंकर के नेतृत्व वाली हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने कहा कि न्यायालय ऐसा करने की हकदार नहीं है. 

अदालत ने स्वीकार किया कि यह विधायिका का अधिकार क्षेत्र है और न्यायपालिका को इस मामले पर आदेश पारित करने का अधिकार प्राप्त नहीं है.  वकील अनुजा कपूर द्वारा दाखिल की गई याचिका में इसके अलावा वैवाहिक दुष्कर्म के मामलों को पंजीकृत करने के संबंध में दिशा निर्देश तैयार करने के लिए भी आदेश देने के लिए कहा गया था.     आपको बता दें कि वर्तमान में वैवाहिक दुष्कर्म, विवाह सम्बन्धी नियम जैसे, हिंदू विवाह अधिनियम 1955, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम 1937 या विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत तलाक का आधार नहीं माना गया है. शीर्ष अदालत द्वारा कपूर की याचिका पर विचार करने से स्पष्ट इनकार करने के बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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