जब 13 मिनट में राम रहीम को जेल से पीजीआई पहुँचाया

रोहतक : जिसने भी शनिवार को वह नज़ारा देखा उसने यही सोचा कि जरूर किसी वीआईपी की हालत नाजुक है, जिसे तेज गति से पीजीआई अस्पताल ले जाया जा रहा है. शनिवार को सायरन बजाते हुए हथियारबंद जवानों के आठ वाहनों के बीच चल रही एंबुलेंस ने गंभीर मरीज को 11 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 13 मिनट में तय करअस्पताल पहुँचाया.यह गंभीर मरीज और कोई नहीं,जेल में बंद ‘बाबा गुरमीत’ था.

 दरअसल ऊपर गंभीर मरीज के एम्बुलेंस में 13 मिनट में पीजीआई पहुँचने के जिस दृश्य का वर्णन किया वह पुलिस का मॉक ड्रिल था, जिसकी सूचना पीजीआई प्रशासन को पहले ही दें दी गई थी. जेल से पीजीआई वाया दिल्ली बाईपास से करीब 11 किलोमीटर की दूरी एंबुलेंस ने पूरे काफिले के साथ 13 मिनट में पूरी की. जेल से 3:30 पर चला काफिला 3:43 पर वार्ड 24 के बाहर पहुंच गया. एंबुलेंस में नकली बाबा बने पुलिस कर्मचारी को मुंह पर कपड़ा डालकर कमरा नंबर 105 तक ले जाया गया. मरीज के अस्पताल पहुँचते ही पैरामिलिट्री (सीआरपीएफ) हथियारबंद जवानों ने वार्ड को पूरी तरह सील कर दिया. गंभीर मरीज को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाना ही मॉक ड्रिल का उद्देश्य था.

मॉक ड्रिल के बाद टीम लीडरों ने खामियों पर चर्चा कर उन्हें ठीक करने को कहा गया .जिसमे इस वार्ड को अन्य विभाग से अलग कर मरीजों के लिए दूसरा रास्ता शुरू करने, बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने , रात की शिफ्ट बदलने पर कर्मचारियों को आने जाने की राहत देने और स्वैट टीम को एंबुलेंस के नजदीक रहने के सख्त निर्देश दिए गए.

पीजीआई का वार्ड नंबर 24 का कमरा नंबर 105 अब ख़ास बन गया है.जेल में किसी तरह की अनहोनी होने पर मरीज को तुरंत अस्पताल पहुंचाने पर इसी कमरे में रखा जाएगा. यह मॉक ड्रिल इसीलिए की गई . जो किसी व्यक्ति विशेष नहीं, बल्कि जेल के सभी बंदियों के लिए की गई.

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