900 साल से इस गांव में नहीं मना रक्षाबंधन, वजह जान रो पड़ेंगे आप

रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इस त्यौहार को हर साल बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती है और बदले में भाई उन्हें तोहफ़े के साथ ही उनकी रक्षा करने का वचन भी देते हैं। हालांकि इसी बीच आप रक्षाबंधन से जुड़ी एक ख़बर को लेकर सोच में पड़ जाएंगे जो कि हम आगे आपको बताने जा रहे हैं। 

रक्षाबंधन का पर्व इस बार 3 अगस्त को देशभर में मनाया जाएगा। लेकिन गाजियाबाद के मुरादनगर में ऐसा नहीं होता है। यहां पर पिछले 900 वर्षों से छाबड़िया गोत्र के भाइयों की कलाइयों पर रक्षा सूत्र नहीं बंधा है। इतना ही नहीं जिसने भी इसे तोड़ने का प्रयास किया, उसके साथ कुछ अनर्थ ही हुआ। लगभग 15 हजार से अधिक आबादी वाले मुरादनगर के गांव सुराना में ज्यादातर छाबड़िया गोत्र के लोग निवास करते हैं। 

महंत सीताराम शर्मा बताते हैं कि राजस्थान से आए पृथ्वीराज चौहान के वंशज छतर सिंह राणा द्वारा सुराना में अपना डेरा डाला गया था। छतर सिंह के पुत्र सूरजमल राणा के दो पुत्र विजेश सिंह राणा व सोहरण सिंह राणा थे। बताया जाता है कि साल 1106 में राखी के त्यौहार के दिन ही गांव पर मोहम्मद गोरी द्वारा हमला किया गया था, इस दौरान गोरी ने युवकों, महिला, बच्चों व बुजुगों को हाथी के पैर से कुचलवा कर उन्हें मौत के घाट उतरा दिया था। तबसे यहां पर राखी का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। लेकिन यदि इस दिन गांव में किसी महिला को पुत्र या गौमाता को बछड़े की प्राप्ति होती है तो वह परिवार त्यौहार मनाता है। 

 

 

 

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