देश के पहले लोकपाल बने पिनाकी घोष, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

नई दिल्ली: भारत के पहले लोकपाल बने न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष ने शनिवार को शपथ ग्रहण की है। पिनाकी घोष को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शपथ दिलवाई है। इस दौरान यहां पीएम नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू और भारत के प्रमुख न्यायाधीश रंजन गोगोई भी उपस्थित रहे। न्यायमूर्ति पीसी घोष को मानवाधिकार कानूनों पर उनकी अच्छी समझ और विशेषज्ञता के लिए पहचाना जाता है। 

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जस्टिस घोष शीर्ष अदालत के जज रह चुके हैं। वे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी रहे हैं। घोष अपने दिए गए फैसलों में मानवाधिकारों की रक्षा की बात बार-बार किया करते थे। वे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मेंबर भी हैं। जस्टिस घोष ने अपने सर्वोच्च न्यायालय कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसले दिए हैं। वे तमिलनाडु की सीएम रहीं जयललिता की नजदीकी शशिकला को आय से अधिक संपत्ति मामले में सजा सुना कर देशभर में सुर्ख़ियों में आए थे। उन्होंने शशिकला सहित बाकी आरोपियों को दोषी ठहरने के निचली अदालत के फैसले को कायम रखा। हालांकि फैसला सुनाए जाने से पहले ही जयललिता का निधन हो चुका था।

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जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष कोलकाता के निवासी हैं। उनकी पांच पीढ़ी कानूनी पेशे से सम्बंधित रहे हैं। घोष यहां के जोरासंको के प्रतिष्ठित दीवान बरनसाई घोष परिवार से ताल्लुक रखते हैं। घोष के पिता न्यायमूर्ति शंभू चंद्र घोष कोलकाता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। वर्ष 1867 में सदर दीवानी अदालत के पहले भारतीय मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हर चंद्र घोष भी इसी परिवार से थे।

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