पंजाब-राजस्थान की नहरों में बहते सैंकड़ों रेमडेसिविर की गुत्थी सुलझी, डेढ़ माह बाद गिरफ्तार हुए आरोपी

चंडीगढ़: पंजाब और राजस्थान की नहरों में बहते सैकड़ों रेमडेसिवर इंजेक्शन की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है. राजस्थान पुलिस ने कोरोना के वक़्त नकली रेमडेसिवर इंजेक्शन बनाकर बेचने वाले मास्टर माइंड मयंक गर्ग को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस से बचने के लिए इसी मयंक गर्ग ने रेमडेसिवर की सैंकड़ों शीशियां नहर में फेंक दीं थीं. जिसके सामने आने के बाद पूरे देश में बवाल मच गया था.

जयपुर पुलिस ने नकली रेमडेसिवर बनाने वाले इस ठग को हिमाचल प्रदेश के मनाली से गिरफ्तार किया है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, आरोपी मयंक गर्ग जयपुर सहित देश के दूसरे शहरों में नकली इंजेक्शन बनाता है, मयंक ने अपने गिरोह के अन्य सदस्यों के माध्यम से नकली रेमडेसिवर की आपूर्ति करने की बात स्वीकार की है. आरोपी मास्टरमाइंड दिल्ली और चंडीगढ़ में मेडिकल फर्म खोलकर कारोबार कर रहा था. लग्ज़री लाइफ जीने के शौकीन आरोपी ने मोटी आमदनी के लिए नकली रेमडेसिवर इंजेक्शन की कालाबाज़ारी शुरू की थी और जब इस गिरोह के कुछ लोग पकड़े गए तो गिरफ्तारी के डर से इसने उन शीशियों को नहर में फेंक दिया था.

जयपुर पुलिस ने भी स्टिंग ऑपरेशन कर ब्लैक में रेमडेसिवर इंजेक्शन बेचते हुए लोगों को जयपुर से गिरफ्तार किया था. लेकिन जांच में पता चला कि इंजेक्शन ही नकली हैं. इसके बाद पुलिस ने और अधिक धरपकड़ की. आरोपी मयंक गर्ग की खोज में राजस्थान पुलिस, पंजाब और हरियाणा में कई दिनों से जुटी हुई थी. आरोपी मनाली में निरंतर होटल बदल रहा था. जिसके कारण इसकी गिरफ़्तारी नहीं हो पा रही थी. पुलिस ने लगभग आधा दर्जन दवा डिस्ट्रीब्यूटरों की गिरफ्तारी की थी तब जाकर इसके संबंध में पता चल पाया था. 

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