जब तक जीना है आशा का घूंट पीना है | खुश रहना है, खुशियां बाँटना है

क्या होगा, क्या नहीं, कैसे मैं बताऊँ, यहाँ हर क्षण भगवान् की देन है  खुशियाँ है, दुःख है  कुछ अचानक से आते नकारात्मक विचार हैं| हर ओर निराशा है, बच्चों का बचपन चार दीवारों में कैद है| क्या यह कुदरत का कहर है? हमें क्या करना है, यही सोचना है,  कैसे जीना है, इस निराशा में आशा खोजना है, कहना आसान है, करना मुश्किल है पर जब तक जीना है आशा का घूंट पीना है| खुश रहना है, खुशियां बाँटना है| जिंदगी जीना है, फिर मुस्कुराना है| फिर मुस्कुराना है|

- डॉ मोनिका सिंह

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