चैत्र नवरात्रि का 22 मार्च से शुंभारंभ हो गया है। वही आज चैत्र नवरात्र का आठवां दिन है, इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी का नाम संस्कृत में "महा" और "गौरी" से लिया गया है, जो दोनों ही शब्दों का अर्थ होता है - "महान" और "सफेद"। इस नाम का अर्थ होता है "शुद्ध और महान व्यक्ति जो आकाश में उठी हुई है।" मां की आराधना हेतु सर्वप्रथम देवी महागौरी का ध्यान करें। ऐसे में चलिए जानते हैं मां महागौरी के मंत्र, स्तोत्र और कवच के बारे में... “सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥” इस मंत्र के उच्चारण के पश्चात महागौरी देवी के विशेष मंत्रों का जाप करें और मां का ध्यान कर उनसे सुख, सौभाग्य हेतु प्रार्थना करें। महागौरी के मंत्र:- 1- श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।। 2- या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। माता महागौरी की ध्यान:- वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥ पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्। वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥ पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्। मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥ प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्। कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥ महागौरी की स्तोत्र पाठ:- सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्। ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥ सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्। डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥ त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्। वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥ माता महागौरी की कवच:- ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो। क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥ ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो। कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥ धार्मिक संघर्ष ने बेलुरु मेले को जगाया, हिंदू कार्यकर्ताओं ने कुरान पढ़ने का विरोध किया आज चैत्र नवरात्री का छठा दिन, मां कात्यायनी की पूजन के दौरान रखें इन बातों का ध्यान आज इन मंत्र, स्तोत्र और कवच से करें मां कात्यायनी को प्रसन्न