यहाँ समझे 26 रुपए प्रति लीटर का पेट्रोल कैसे हो जाता है 80 पार

पेट्रोल और डीजल के दाम से हर आम और खास परेशान है. मगर यदि सरकार चाहे तो इसमें राहत दी जा सकती है. वो कैसे ये जानने के लिए ये गणित समझे- -जानकारी के अनुसार एक लीटर कच्चा तेल आयात करने की कुल लागत करीब 26 रुपए  -कम्पनिया प्रवेश कर, शोधन का खर्च, माल उतारने की लागत और मुनाफा जोड़कर उसे डीलर को 30 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बेचती हैं -उसके बाद तेल पर केंद्र सरकार 19 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से उत्पाद कर लगाती है  -इसमें तीन रुपए प्रति लीटर के हिसाब से डीलर का कमीशन  -राज्य सरकार का वैट  -इसके बाद ढाई गुना से ज्यादा कीमत के साथ तेल ग्राहक तक पहुंचता है -इन सब समीकरणों में बहता हुआ तेल आखिर में 26 रुपए से लेकर से उस भाव तक पहुंच जाता है जिसमे आपको मिल रहा है.  

असलियत और भी है-  -2013 में जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल थी, तब देश में उत्पाद कर नौ रुपए प्रति लीटर था, जो अब 19 रुपए है -2014 के बाद कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई पर सरकारी करो के कारण आम जनता को कोई राहत नही मिली  -नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच तेल पर कर की दरों में नौ बार बढ़ोतरी हुई है  -केंद्र सरकार ने तेल पर एक्साइज कर के रूप में रोजाना 660 करोड़ रुपए कमाए हैं -राज्यों की यह कमाई 450 करोड़ रुपए प्रतिदिन है

जारी है पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने का सिलसिला...

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