'दत्ताजी जैसे लोगों ने हमें विवेक और बड़ा दिल रखना सिखाया है', बोले RSS के दत्तात्रेय होसबाले

मुंबई: रविवार को RSS के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि वैचारिक विरोध एवं असहमति अलग-अलग चीजें हैं तथा समाज में रहते हुए व्यक्तिगत नफरत नहीं होनी चाहिए। होसबाले यहां दत्ताजी डिडोलकर के जन्म शताब्दी कार्यक्रम के उद्घाटन कार्यक्रम के चलते एक सभा को संबोधित कर रहे थे। डिडोलकर RSS नेता एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के संस्थापक सदस्य थे। होसबाले ने कहा कि डिडोलकर ने सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे तथा अपनी विचारधारा से समझौता किए बिना दूसरों के विचारों का सम्मान किया।

होसबाले ने कहा, 'विचारधारा का विरोध हो सकता है। वैचारिक विरोध अलग बात है मगर समाज में व्यक्तिगत स्तर पर विरोध नहीं सहना चाहिए। जब हम समाज में रहते हैं तो एक-दूसरे से बैर नहीं रखना चाहिए बल्कि इंसानियत के सिद्धांतों और न्याय पर सादा जीवन जीना चाहिए।' होसबाले ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी श्रमिकों के अधिकारों के लिए काम करते थे तथा उनके कई कम्युनिस्ट नेताओं के साथ बहुत सौहार्दपूर्ण संबंध थे, जो हमें संघ ने सिखाया है। 

उन्होंने कहा, 'वैचारिक विरोध एक अलग चीज है। असहमति हो सकती है। किन्तु, किसी ने भी हमें समाज में एक-दूसरे के प्रति नफरत के साथ रहना नहीं सिखाया। दत्ताजी जैसे व्यक्तियों ने हमें विवेक और बड़ा दिल रखना सिखाया है।' इस मौके पर बोलते हुए, बीजेपी सांसद तथा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने विद्यार्थी परिषद के दिनों के चलते डिडोलकर के साथ अपने लंबे जुड़ाव को याद किया। उन्होंने कहा कि दत्ताजी हमेशा मजदूरों के पीछे खड़े रहे एवं मजदूरों के लिए एक अभिभावक की भांति थे।

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