न जाने कहां से आई हूं, न जाने कहां को जाऊंगी… अब मैं क्या कहूँ, मेरे पास शब्द खत्म हो गए है कुछ कहने के लिए,बची है तो सिर्फ कुछ भावनाएं, जो रात को मिली एक खबर से अंदर ही अंदर रो रही है, लोगों से कह रही है कि बस करो यह सब एक बुरा सपना,मैं यकीन नही कर पा रहा हूँ, न जाने क्यों दिल में एक उम्मीद पाले बैठा हूँ कि शायद मैं सपना ही देख रहा हूँ, सपना श्री देवी की बुरी खबर का, एक ऐसा सपना जो शायद मैं देखना नहीं चाहता था.लेकिन अब जाकर उम्मीद पूरी तरह बिखर चुकी है, बोलते हुए शब्द काँप रहे है, आगे क्या कहूँ कुछ भी समझ नहीं आ रहा है. मुझे श्री देवी से इतना लगाव नहीं है, न ही वह मेरी फेवरेट एक्ट्रेस है लेकिन बचपन के जीवन में देखी गई फिल्मों से इकट्ठा की गई यादों में वह आज भी वैसे ही ज़िंदा है जैसे पहले थी. श्री देवी को याद करते हुए ज़हन में सबसे पहले मिस्टर इंडिया की मस्ती करती हुई सीमा आती है, फिर आती है नागिन, जो श्री देवी के नाम से बरसों तक जिंदा रहेगी. श्री देवी के हर किरदार में एक बच्चे वाली मासूमियत हर बार निकल कर आती है, और मुझसे मिल जाती है. फिर चाहे बचपन में देखी गई चांदनी हो या अभी देखी गई मॉम. तीन दिन पहले ही श्री देवी के चमकीले कपड़ों वाली तस्वीर देखी थी, यह वही चमक है जो अस्सी-नब्बे के दशक में दर्शकों पर छोड़ी गई थी. ज़िंदगी और मौत दो पहलू है, सच्चाई है. लेकिन मैं दुःख के साथ शेयर कर रहा हूँ, कि श्री देवी के रूप में यह सच्चाई इस वक़्त हमें मंजूर नहीं है. ना कभी मंजूर होगी. तेरे मेरे होठों पर, मोरनी बागा मा बोले, काटे नहीं कटते, जैसे गाने की धुन कानों में पड़ कर कान सुन्न कर रही है. एक तरफ जहाँ पूरा हिंदुस्तान अपने सपनों में खोया था, लोग सो रहे थे, उसी समय दुबई में बॉलीवुड की 'चांदनी' रात के चाँद के साथ अँधेरे में कहीं गुम हो गई, और दे गई एक ऐसा 'सदमा' जो आपकी आखिरी याद होगा. आपके नाम के साथ 'था' लगाने के लिए दिल मना कर रहा है. क्योंकि आप यही आसपास है, आप अभी कहीं भी नहीं गई है. बस कल ही आप मुंबई एयरपोर्ट पर फोटोग्राफर को अपनी प्यारी स्माइल के साथ पोज़ देते नजर आएगी, और फिर करोड़ो दिल जवान हो उठेंगे. अलविदा चांदनी