अपने डायलॉग्स से जीता था ओम पुरी ने सबका दिल

अभिनेता ओम पुरी का जन्म आज ही के दिन हुआ था। वह हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकारों में से एक थे। जी दरअसल उन्होंने अपने अभिनय से फिल्मी पर्दे पर ऐसी छाप छोड़ी थी जो अब तक मिट नहीं सकी है। वैसे आज ओम पुरी के जन्मदिन पर हम आपको बताने जा रहें हैं उनके वह बेहतरीन डायलॉग्स जो आपने सुने होंगे और उन्होंने आपका दिल भी जीता होगा। आइए आज जानते हैं ओम पुरी के कुछ बहुत ही शानदार डायलॉग्स। 

डायलॉग- खून जब बोलता है तो मौत का तांड़व होता है।  फिल्म- मरते दम तक (1987)

डायलॉग- मेरा फरमान आज भी इस शहर का कानून है, मैं जब भी करता हूं, इंसाफ ही करता हूं। फिल्म- नरसिम्हा (1991)

डायलॉग- हर इंसान को जिंदगी में एक बार प्यार जरूर करना चाहिए, प्यार इंसान को बहुत अच्छा बना देता है।  फिल्म- प्यार तो होना ही था (1998)

डायलॉग- जंग कोई भी हो, नतीजा कुछ भी हो, एक सिपाही अपना कुछ न कुछ खो ही देता है। फिल्म- चाइना गेट (1998)

डायलॉग- हमारे धंधे में आंसूओं के साथ कोई रिश्ता नहीं होता है फिल्म- मरते दम तक (1987)

डायलॉग- परंपराओं की लकीरें जब धुंधली पड़ जाती हैं, तो नई लकीरें खींचने से परहेज नहीं करना चाहिए। फिल्म- बाबुल (2006)

डायलॉग- यकीन को हमेशा वक्त के पीछे चलना चाहिए, आगे नहीं फिल्म- कुर्बान (2009)

डायलॉग- मजहब इंसानों के लिए बनता है, मजहब के लिए इंसान नहीं बनते। फिल्म- ओह माय गॉड (2012)

डायलॉग- मैं ऐसे लोकतंत्र में विश्वास नहीं करता, जो गरीबों की इज्जत करना नहीं जानता। फिल्म- चक्रव्यूह (2012)

डायलॉग- जब एक भ्रष्ट आदमी मरता है तो उसकी सत्ता खत्म होती है, और जब एक सच्चा आदमी मरता है तो उसकी सत्ता शुरू होती है। फिल्म- घायल वंस अगेन (2016)

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