अब एप से भी हो सकेगी लकवे की पहचान

चिकित्सा क्षेत्र में तकनीक की सहायता से नित नए प्रयोग सामने आ रहे. तकनीक ने कई लाइलाज बीमारियोँ को भी संभव बना दिया है. इसी तरह अब एक नई तकनीक सामने आयी हैं. साइंस मैगज़ीन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ फ़िनलैंड विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एप विकसित कर लिया है जिससे की व्यक्ति में लकवे की संभावना को पहले ही पहचाना जा सकेगा.

अक्सर बुजुर्ग लोगोँ में साँस चढ़ने की शिकायत आती है जिससे की उनमें दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है और व्यक्ति लकवा से ग्रस्त हो सकता है. इसे ही ‘एट्रीयल फीब्रीलेशन’ कहा जाता है. अभी तक ‘एट्रीयल फीब्रीलेशन’ का पता मेडिकल साइंस में ‘इलेक्ट्रोकार्डियो ग्राम’ (ईसीजी) से ही पता चलता था.  अमेरिका की साइंस मैगज़ीन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक फिनलैंड की तुर्क यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक पिछले सात साल से इस तरह के एप के लिए शोधा कर रहे थे. वैज्ञानिको ने 300 लोगो पर इस एप का उपयोग किया है और इन 300 लोगोँ में लकवा की सटीकता की पहचान हुई है. वैज्ञानिको के मुताबिक ये एप ऐसे एल्गोरिथ्म और एक्सीलेरोमीटर का उपयोग करता है जो लगभग सभी स्मार्ट फोन में पाया जाता है. इस एप्प को बनाने वाले निर्मातोँ का कहना है की इस एप को जल्द ही एशिया और अमेरिका में लॉन्च करने की तैयारी में हैं. याने अब सिर्फ एक एप की सहायता से व्यक्ति में लकवे की पहचान हो जाती है.       

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